FARRUKHABAD : डीपीवीपी कालेज मदारबाड़ी में चल रहे 16वें मानस सम्मेलन में मंगलवार को पवन पुत्र हनुमान के चालीसा का विस्तार से वक्ताओं ने वर्णन किया। पूरा पान्डाल उनके चौपाइयों से गूंज उठा।
प्रांगण में श्रोताओं को हनुमान चालीसा का पाठ कराते हुए पण्डित हरिदत्त शास्त्री रामायणी ने कहा कि भगवान हनुमान श्री राम के अनन्य भक्त तो थे ही साथ ही साथ श्रद्धा के अकूत सागर थे। पण्डित हरिदत्त ने चारो युग प्रताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा, कौन सो काज सकल जग माही, जो नहीं होय तात तुम पाहीं। आदि चौपाइयों को संगीतमय करके श्रोताओं को भक्तिरस की गंगा में गोते लगवाये। उदयपुर से आयीं वक्ता शिरोमणि शर्मा ने वैदिक सनातन धर्म की ब्याख्या करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपना और साथ में दूसरों का भरण पोषण, परोपकार व सेवाकार्य करता है वही सनातन धर्म है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अनेक मंत्र और धर्म आये सभी लुप्त हो गये। केवल सनातन धर्म ही बचा जो सदियों से चला आ रहा है।
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गाजीपुर से आये पण्डित अखिलेश चन्द्र उपाध्याय ने कहा कि भगवत कीर्तन के रहस्य जिसमें मानव के पापों का नष्ट होना, सुख, समृद्धि, सम्पदा का प्रवेश जीवन मंगलमय कर देता है। ऐसा अपने ठाकुर के साथ श्रद्धा समर्पण भाव से संकीर्तन में भाग लें आदि रहस्यों को उजागर किया।
रसाचार्य स्वामी लेखराज शर्मा ने भी भारतीय संस्कृति के विषय में अपने विचार रखे। इस दौरान दूसरी पाली में रासलीला का अभिनय कर कलाकारों ने श्रद्धालुओं को पन्डाल में बैठने के लिए मजबूर कर दिया।
भारत सिंह, बृजकिशोर सिंह, प्रमोद कनौजिया, रामू, वेदप्रकाश गुप्ता, हरी बाबू, निर्मला सिंह, मधु मिश्रा आदि मौजूद रहे।