FARRUKHABAD : रामकथा आयोजन समिति द्वारा मदारबाड़ी में चल रहे 16वें मानस सम्मेलन में सोमवार को कथा का रसपान करने आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत स्वामी निर्भयानंद ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति सहज भाव से होती है। अगर जीव चाहे तभी संभव हो सकता है।
डीपीवीपी इंटर कालेज के मैदान में चल रहे मानस सम्मेलन में तीसरे दिन श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। प्रातः शुरू हुई कथा में श्रद्धालु भक्ति रस की गंगा में गोते लगाते नजर आये। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए दिव्य ज्योति आश्रम के संत स्वामी निर्भयानंद ने कहा कि लोग भगवान को नहीं चाहते लेकिन भगवान से सब कुछ चाहते हैं। परमात्मा की प्राप्ति सहज भाव से होती है। अगर जीव चाहे तभी संभव हो जाता है।
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निर्भयानंद ने कहा कि परमात्मा ने प्रकृति की उत्पत्ति की और प्रकृति ने पंचभूतों के तत्वों से शरीर का निर्माण किया। जो उसी में विलय हो जाता है। शरीर के अलावा आत्मा जो परमात्मा का अंश है, उसका स्मरण करना चाहिए। जिससे इस लोक और परलोक में जीव का कल्याण हो।
सुश्री शिरोमणि शर्मा ने कहा कि व्यक्ति चार वेद, 18 पुराण व 6 शास्त्रों का अध्ययन कर ले लेकिन तुलसी के मानस का अध्ययन नहीं किया तो कुछ नहीं। पण्डित अखिलेश चन्द्र उपाध्याय ने कहा कि मानस की रामकथा हीरे मोती की तरह है, यह जीवन में समृद्धि प्रदान करती है। मानस सम्मेलन की रामकथा एवं रासलीला की अमृत वर्षा में सायंकाल स्वामी लेखराज जी एवं ओमप्रकाश शर्मा के साथ कला साधकों के माध्यम से शास्त्रीय रीति की महारास एवं श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित राजस्थान की कृष्ण भक्ति लीला के जीवन में भगवान कृष्ण की लीला का भावयुक्त गीत संगीत के माध्यम से प्रस्तुति की गयी। इस दौरान वेद प्रकाश, डी के सिंह, भारत सिंह आदि मौजूद रहे।