फीस प्रतिपूर्ति में धांधली करने वाले कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने की तैयारी है। यही नहीं इनके खाता सीज कराकर धोखाधड़ी कर ली गई फीस प्रतिपूर्ति की रकम की वसूली भी की जाएगी। उच्च स्तर पर इस संबंध में मंथन अंतिम दौर में है। शीघ्र ही इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद है।
गरीब मेधावी छात्रों की पढ़ाई में किसी तरह की रुकावट न आए, इसके लिए छात्रवृत्ति के साथ फीस प्रतिपूर्ति की व्यवस्था लागू की गई है।
सालाना दो लाख रुपये तक आय वाले अभिभावकों के बच्चों को फीस प्रतिपूर्ति देने की व्यवस्था है। प्रदेश के करीब 23 लाख 82 हजार 364 छात्रों को सालाना फीस प्रतिपूर्ति की जा रही है।
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हालांकि, फीस प्रतिपूर्ति सीधे छात्रों के खाते में देने की व्यवस्था है, इसके बावजूद कॉलेज वाले इसमें धांधली कर लेते हैं। वे छात्रों के खाते में आने वाली फीस की प्रतिपूर्ति भी छात्र से जबरिया हस्ताक्षर कराकर निकलवा लेते हैं। शिकायतें तो यहां तक मिलती हैं कि कॉलेज प्रबंधन कुछ छद्म नाम के छात्रों का प्रवेश दिखाकर फीस की प्रतिपूर्ति स्वयं प्राप्त कर लेते हैं। प्रदेश में फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर चलने वाले इस गोरखधंधे की गूंज विधानसभा के दोनों सदनों में भी उठ चुकी है।
इसलिए सरकार चाहती है कि ऐसी व्यवस्था लागू की जाए, ताकि फीस प्रतिपूर्ति में गड़बड़ी करने वालों पर सीधी कार्रवाई की जा सके। शासन स्तर पर हुई बैठक में अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि फीस प्रतिपूर्ति में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर अब जिला स्तर की बजाय निदेशालय स्तर पर जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने पर संबंधित कॉलेज की मान्यता समाप्त कराने के लिए कार्यवाही की जाए।