FARRUKHABAD : वैसे तो समुद्र के किनारे बसी फिल्म उद्योग नगरी मुम्बई में गणेश चतुर्दशी पर बहुत ही महत्व दिया जाता था, लेकिन बीते कुछ वर्षों में जनपद में भी गणपति चतुर्दशी को लेकर विशेष आयोजन होने लगे हैं तो मूर्ति के कारीगरों ने भी अच्छी कमाई का जरिया देख अपने तम्बू गड़ा दिये हैं और मूर्ति को तैयार करना शुरू कर दिया।
गणपति आयोजन के लिए भव्य गणेश प्रतिमाओं को गड़ने का कार्य कारीगरों ने तेज कर दिया है। जिसको लेकर दिन रात कारीगर मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। राजस्थान के पाली, मारबाड़ से आये मूर्ति कारीगर धनराज बीते तीन माह से गणेश प्रतिमाओं को तैयार करने में जुटे हुए हैं, जिन्हें अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। पीओपी से निर्मित की जा रहीं प्रतिमाओं को श्रद्धालुओं की मांग के चलते बड़े आकार में बनाया गया है। 100 रुपये से लेकर ग्यारह हजार रुपये तक की प्रतिमायें कारीगरों ने तैयार की हैं। कायमगंज, कमालगंज, नगर व अन्य क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने पहले ही मूर्तियां बुक करा दी हैं।
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11 हजार रुपये की विशाल मूर्ति बनाने में तकरीबन 20 बोरी पीओपी लगता है। साथ ही साथ नारियल का जूट भी तकरीबन 40 किलो लग जाता है। जो वर्तमान में 1100 रुपये का आता है। पिछले वर्ष कारीगरों ने छोटी मूर्तियां बनायीं थीं, लेकिन इस वर्ष श्रद्धालुओं की मांग और गणपति चतुर्दशी की बढ़ती लोकप्रियता के चलते जयपुर से विशेष बड़े सांचे मंगाये गये हैं। जिनमें पीओपी और नारियल के जूट को मिलाकर मूर्ति तैयार होती है। तकरीबन 15 दिन मूर्ति को सूखने में लगता है। इसके बाद स्प्रे पेंट से उसमें रंग भरकर आकर्षक रूप दिया जाता है।
कुल मिलाकर मूर्ति तैयार होते ही साक्षात गणपति के दर्शन होते हैं। वर्तमान में 11 हजार, 5 हजार, 4 हजार, 500 और 100 रुपये की गणपति प्रतिमायें कारीगरों ने बनाकर सजा रखी हैं। कारीगर धनराज अपने पूरे परिवार के साथ दिन रात मूर्ति गड़ने में लगे हुए हैं। उन्हें इस बार अच्छी विक्री की आश है।