नरेंद्र मोदी भाजपा छोड़ दें तो अन्ना समर्थन को तैयार

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वाशिंगटन। भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा है उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री का समर्थन करने में खुशी होगी बशर्ते वह भाजपा को छोड़ दें। द हफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह बात गत 20 अगस्त को डेलावेयर में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय-अमेरिकी समुदाय, शिक्षाविदें और थिंक टैंक के साथ बातचीत के दौरान कही थी। अमेरिका की दो हफ्ते की यात्रा पर आए अन्ना बुधवार को स्वदेश रवाना हो गए।
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रिपोर्ट के मुताबिक, अन्ना ने कहा कि वह राजनीतिक दलों में विश्वास नहीं रखते हैं। मोदी भाजपा के सदस्य हैं इसलिए वह उनका समर्थन नहीं कर सकते। यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में एसोसिएट प्रोफेसर और इंस्टीट्यूट फॉर सोशल पॉलिसी एंड अंडरस्टैंडिंग में फेलो मुत्तेदार खान ने हफिंगटन पोस्ट में लिखा, जब अन्ना पर मोदी का व्यक्ति विशेष के तौर पर समर्थन करने के लिए दबाव डाला गया तो उन्होंने कहा कि अगर गुजरात के मुख्यमंत्री भाजपा छोड़ दें तो उन्हें उनका समर्थन करने में खुशी होगी। डेलावेयर में कार्यक्रम का संचालन करने वाले खान ने लिखा कि नीतिपरक कार्यकर्ता के लिए यह एक राजनीतिक उत्तर था। खान ने कहा, मोदी के समर्थकों को नाराज किए बिना अन्ना इस विषय से बचने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि मेरा अंदाजा है कि उन्होंने हिंदू धर्म निरपेक्षवादियों को नाराज कर दिया और मोदी पर मुहर नहीं लगाकर हिंदू राष्ट्रवादियों को निराश कर दिया। गौरतलब है कि गत 22 अगस्त को वाशिंगटन के एक उपनगर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अन्ना ने कहा था कि मोदी या राहुल गांधी में कोई भी प्रधानमंत्री बनने के योग्य नहीं है।
मैगसेसे अवार्ड विजेता किरण बेदी का मानना है कि जब तक सीबीआइ की स्वायत्तता का मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है तब तक अन्ना को अपना आंदोलन दोबारा रामलीला मैदान में शुरू नहीं करना चाहिए। भारत सरकार ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट को जवाब दे रही है तो फैसला आने तक हम इंतजार क्यों नहीं कर सकते। साथ ही कहा कि इसे अन्ना के साथ मतभेद के तौर पर न देखें। पूर्व आइपीएस ने कहा कि वह और अन्य करीबी सहयोगी अन्ना को दोबारा रामलीला मैदान पर अनशन न करने को लेकर मनाने में लगे हैं। इसका एक कारण उनका स्वास्थ्य भी है। गौरतलब है कि गत 22 अगस्त को अन्ना ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार मौजूदा सत्र में लोकपाल विधेयक नहीं लाती है तो संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन से वह अपने आंदोलन की शुरुआत रामलीला मैदान से करेंगे। एक सवाल के जवाब में बेदी ने कहा, एक चीज स्पष्ट है जहां सुप्रीम कोर्ट पिंजड़े में बंद केंद्र सरकार के तोते यानी सीबीआइ को आजाद कराने को प्रतिबद्ध है वहीं सत्तासीन पार्टी इसकी विरोधी है।