FARRUKHABAD : उत्तराखण्ड में आयी प्राकृतिक तबाही के बाद से गंगा के जल स्तर में हुई वृद्वि कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिससे जनपद के लगभग 200 गांवों के ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने के साथ ही अपना सब कुछ गंवाने को मजबूर हो चुके हैं। शनिवार को गंगा का जल स्तर 136.75 मीटर व रामगंगा का जल स्तर 135.90 मीटर पर पहुंच जाने से अब स्थिति और खराब होने के आसार जताये जा रहे हैं।
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जनपद में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गंगा के किनारे बसे ग्रामीणों की बर्बादी बीते एक माह से हो रही है लेकिन प्रशासन द्वारा बाढ़ पीडि़तों को बचाने के लिए हाथ पांव मारने के अलावा और कुछ भी कारगर उपाय नहीं किया गया है। बीते एक माह पूर्व आये सैलाब में जनपद के लगभग 200 ग्रामों की जमीनें गंगा में समा गयीं। लोगों के पास खुद के खाने के साथ-साथ जानवरों के चारे तक की समस्या खड़ी हो गयी। लेकिन प्रशासन की तरफ से कागजों में बाढ़ चैकियां स्थापित कर निगरानी करने के शिवा और कुछ भी राहत कार्य नही किया गया है।
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गांवों में पानी भरने व तेज धूप में घास फूस के पानी में सड़ने से तमाम बीमारियों ने भी घर कर लिया है। बुखार, उल्टी, दस्त जैसी बीमारियों के लिए लोग झोलाछाप डाक्टरों का सहारा ले रहे हैं। जबकि प्रशासन की तरफ से भले ही कागजों में स्वास्थ्य टीमें बाढ़ पीडि़त क्षेत्रों में घूम रहीं हों लेकिन इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आज तक कोई स्वास्थ्य टीम नहीं पहुंची। जिससे ग्रामीणों में प्रशासन के साथ साथ जनप्रतिनिधियों के प्रति रोष व्याप्त है।
शमसाबाद क्षेत्र के ग्राम अहमदगंज, सुन्तानगंज खरेंटा, कुआंखेड़ा बजीर आलमपुर, न्यामतपुर भकुसी, भकुसा, अकाखेड़ा, गन्डुआ इत्यादि गांवों में पानी भरा हुआ है। कुछ ग्रामीण पहले ही अपनी रिश्तेदारियों के लिए पलायन कर चुके हैं लेकिन अभी कुछ ग्रामीण अपने गांवों में ही डटे हुए हैं। शनिवार को गंगा का जल स्तर बढ़कर चेतावनी बिन्दु से 10 सेमी ऊपर 136.75 मीटर पर पहुंच गया। गंगा में नरौरा बांध से एक लाख 82 हजार 744 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बाढ़ की स्थिति और भी भयावह होने की संभावना जतायी जा रही है।