FARRUKHABAD : जनपद में परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था से वैसे भी शिक्षकों से लेकर अधिकारियों तक सभी रूबरू हैं, इन स्कूलों में कोई अधिकारी या शिक्षक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना पसन्द नहीं करेगा। लेकिन शिक्षा से महरूम ग्रामीणों के बच्चों का तो भविष्य इन्हीं स्कूलों के बल बूते पर टिका है। लेकिन अधिकारी व शिक्षक मिलकर शासन की सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजना पर पानी फेरने में जुटे हुए हैं। स्कूलों में बांटे जाने वाले मिड डे मील तक में अधिकारी व शिक्षकों का कमीशन तय होता है। जिससे बच्चों को मिड डे मील के नाम पर तहरी परोसी जाती है वह भी भरपेट नहीं।
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जहानगंज क्षेत्र के ग्राम अहमदपुर देवरिया के प्राथमिक विद्यालय की बात करें तो यहां पर उपस्थित 76 बच्चों के लिए प्रधान द्वारा मात्र डेढ़ किलो ही राशन दिया जाता है। मासूम बच्चे कम खाना मिलने पर झगड़े पर उतारू हो जाते हैं, लेकिन यहां कोई देखने वाला नहीं हैं।
बच्चों को कम मिड डे मील की जानकारी कुछ जागरूक ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने स्कूल में जाकर विवाद खड़ा कर दिया। मौके पर मौजूद रसोइया ने बताया कि 76 बच्चों पर मात्र डेढ़ किलो ही राशन दिया जाता है। आगनबाड़ी कार्यकत्री महीने में सिर्फ चार दिन आती है। वह भी एक भी बच्चे को पंजीरी इत्यादि न बांटकर 100 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर पर दर्शाती हैं।
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जब प्रधानाचार्य धनसिंह शाक्य से बच्चों की उपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कुछ बच्चे तीन चार वर्षों से दूसरे स्कूलों में ही पढ़ रहे हैं तथा छात्रवृत्ति यहां से प्राप्त करते हैं।
प्रधानाध्यापक की रहमोकरम पर शिक्षामित्रों का भी बुरा हाल है, शिक्षामित्रों से साठगांठ के चलते 8 से 10 दिन तक उपस्थिति रजिस्टर में कालम खाली पड़ा रहने दिया जाता है, जब शिक्षामित्र स्कूल आते हैं तो पिछली उपस्थिति भी दर्ज कर देते हैं। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने तो कुछ अध्यापकों पर दारू पीकर आने तक का आरोप लगाया है।