बेसिक शिक्षा में भ्रष्टाचार- तीन पूर्व बीएसए की होगी सतर्कता जांच

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corruptionलखनऊ : छह से 14 वर्ष तक के बच्चों को बुनियादी शिक्षा के दायरे में लाने की चुनौती से जूझ रहे बेसिक शिक्षा विभाग को अफसरों के भ्रष्टाचार से भी दो-दो हाथ करना पड़ रहा है। जिन बीएसए पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करने की जिम्मेदारी है, उनमें से कई भ्रष्टाचार की बेल को पुष्पित-पल्लवित कर रहे हैं।

शिक्षकों की नियुक्ति, छुट्टियों की मंजूरी व तबादले से लेकर स्कूली बच्चों को पाठ्यपुस्तकों और यूनीफॉर्म वितरण में खेल हो रहा है। स्कूलों का निर्माण हो या सर्व शिक्षा अभियान की योजनाएं सभी को भ्रष्टाचार का दीमक चाट रहा है। अधिकारी-कर्मचारी बताते हैं कि बीएसए पद पर रह चुके एक अधिकारी का पटना में शॉपिंग मॉल भी है। अधिकारी के भ्रष्टाचार के कारनामों की मोटी फाइलों को आजकल शासन में उल्टा-पलटा जा रहा है। बसपा सरकार के मंत्री के पुत्र के जन्मदिन पर एक बीएसए के स्कॉर्पियो भेंट करने की घटना भी महकमे में सर्वविदित है। यह अधिकारी आजकल पश्चिमी उप्र के जिले में बीएसए की कुर्सी पर जमे हुए हैं। बहराइच में तैनात रह चुके एक बीएसए ने सर्व शिक्षा अभियान की आड़ में करोड़ों के वारे-न्यारे किये। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी कई मौकों पर बीएसए पद पर तैनात अफसरों से कह चुके हैं कि वे बेसिक शिक्षा अधिकारी बने रहें ‘भ्रष्ट शिक्षा अधिकारी नहीं।’

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बहरहाल बेसिक शिक्षा विभाग ने अब भ्रष्टाचार उजागर करने का फैसला किया है। अफसरों पर नकेल कसने की मुहिम का नतीजा है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य सतर्कता समिति ने तीन पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) की चल-अचल संपत्ति की सतर्कता विभाग से जांच करने की अनुमति दे दी है। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग ने तीन अन्य शिक्षा अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की सतर्कता जांच कराने की सिफारिश की है। सतर्कता समिति ने जिन शिक्षा अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति की सतर्कता विभाग से जांच कराने की संस्तुति की है, उनमें मुजफ्फरनगर के पूर्व बीएसए दिनेश कुमार, महाराजगंज के पूर्व बीएसए राम हजूर प्रसाद व देवरिया के पूर्व बीएसए अवधेश नारायण मौर्य हैं।

दिनेश कुमार जब मुजफ्फरनगर में थे तो वहां के जिलाधिकारी को मई 2012 में निरीक्षण के दौरान एक निजी दुकान से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का समानांतर कार्यालय पाया था। इसमें नये स्कूलों की मान्यता, शिक्षकों की सेवा पुस्तिकाएं व नियुक्ति पत्रावली, मृतक आश्रितों की नियुक्ति पत्रावली, आदि महत्वपूर्ण विषयों की पत्रावलियां और पैसे का लेन-देन होते पाया गया था। लेन-देन में प्रयुक्त होने वाले रजिस्टर में 1.01 करोड़ रुपये की धनराशि का ब्योरा दर्ज था। महाराजगंज में राम हजूर प्रसाद ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत आवंटित धनराशि में से फर्जी चेक के जरिये 98 लाख रुपये अनियमित तरीके से निकाले गए थे जिसमें उनकी संलिप्तता पायी गई थी। उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के अन्य मामले भी थे। देवरिया के बीएसए पद पर तैनात रहे अवधेश नारायण मौर्य को मंडलायुक्त गोरखपुर ने अनुदानित विद्यालयों के अभिलेखों में कूटरचना करके फर्जी नियुक्तियां करने तथा वेतन व एरियर के भुगतान में 96 लाख रुपये के सरकारी धन की क्षति के लिए जिम्मेदार ठहराया था।