उत्तर प्रदेश के 1.74 लाख शिक्षा मित्रों के लिए एक अच्छी खबर है। बेसिक शिक्षा विभाग उनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 5000 करने पर विचार कर रहा है। उसने इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास भेजा गया है।
मुख्यमंत्री को इस पर अंतिम निर्णय करना है। शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने से करीब 26.10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा। मौजूदा समय शिक्षा मित्रों के मानदेय पर 60.90 करोड़ रुपये खर्च हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों का सहयोग करने के लिए वर्ष 2000 में शिक्षा मित्रों को रखने की प्रक्रिया शुरू हुई।
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मौजूदा समय प्राइमरी स्कूलों में 1.74 लाख शिक्षा मित्र बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षा मित्रों को 3500 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है।
राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को दो वर्षीय दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीटीसी प्रशिक्षण कराकर शिक्षक बनाने की तैयारी कर चुकी है, पर शिक्षा मित्र चाहते हैं कि शिक्षक बनाए जाने तक उनका मानदेय 7300 रुपये कर दिया जाए। इसके लिए शिक्षा मित्रों ने प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए तय किए गए मानदेय का उदाहरण दिया है।
उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन और उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र संघ ने इसको लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना देने के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ज्ञापन भी दिया था। वहां से प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार को मानदेय बढ़ाने संबंधी पत्र भेजा गया है।
इसमें कहा गया है कि शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। इसके आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा है।
इसमें कहा गया है कि मौजूदा समय शिक्षा मित्रों के मानदेय पर 60.90 करोड़ खर्च हो रहा है। 5000 मानदेय करने पर 26.10 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा और कुल खर्च 87 करोड़ के आसपास हो जाएगा।