परीक्षा में नकल रोकने के लिए घूमते न तो उड़ाका दल होंगे न ही कक्षा में परीक्षा के दौरान घूरती कक्ष निरीक्षक की आंखें। इन सबसे इतर छात्र के पेपर में ही पूछे गए हर सवाल से जुड़े जवाब व्यापक रूप में लिखे होंगे। छात्र को बस इतना करना होगा कि पेपर में दिए गए जवाब में सही और सटीक उत्तर चुन कर लिखना होगा।
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छात्रों को यह सहूलियत नए सत्र से सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) देने जा रहा है। वर्ष 2014 की
नौवीं और 11वीं की परीक्षा में ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट लागू हो रहा है।
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नई कवायद के संदर्भ में सीबीएसई चेयरमैन विनीत जोशी ने पत्र लिखकर सभी स्कूलों को अवगत कराया है। नौवीं में जहां यह सभी विषयों में लागू होगा, वहीं 11वीं में इसे पहले साल इकोनॉमिक्स, जॉग्रफी और बायोलॉजी तक सीमित रखा गया है। जोशी का कहना है कि इसके जरिए छात्रों की व्यक्तित्व संबंधी क्षमता की परख हो सकेगी और साथ ही वे तथ्यों को रटने की जगह समझ और तार्किक क्षमता विकसित करने की ओर आगे बढ़ेंगे। स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल सीबीएसई उपलब्ध कराएगा। परीक्षा के प्रणाली, उद्देश्य और प्रक्रिया को समझने के लिए सहोदय स्कूलों से वर्कशॉप आयोजित करने को भी कहा गया है। इससे इस प्रणाली को सही रूप से लागू करने और आदर्श मूल्यांकन तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी। स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल दिसंबर में उपलब्ध करा दिया जाएगा।
ऐसे होगी 9वीं और 11वीं में परीक्षा
नौवीं में ओपन टेक्स्ट आधारित अससेमेंट हर विषय में लागू होगा। यह मार्च में होने वाले समेटिव असेसमेंट-दो का हिस्सा होगा। परीक्षा के कुछ महीने पहले स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल उपलब्ध कराए जाएंगे। टेस्ट मैटेरियल आर्टिकल, केस स्टडी, रेखाचित्र, कॉन्सेप्ट, कार्टून, चित्र या परिस्थिति आधारित हो सकता है। इसकी संरचना उसी पाठ्यक्रम पर आधारित होगी जो नौवीं के छात्रों को सेकंड टर्म में पढ़ाया गया है। प्रमुख विषय का 15-20 प्रतिशत हिस्सा ओपन टेस्ट पर आधारित होगा। इसमें वैल्यू ऐडेड क्वेश्चन भी शामिल किए जा सकते हैं। ओपन टेस्ट असेसमेंट में पूछे जाने वाले सवाल उच्च स्तरीय चिंतन दक्षता पर आधारित होंगे और इनका प्रारूप वैकल्पिक, वस्तुपरक और रचनात्मक हो सकता है। टेक्स्ट मैटेरियल प्रश्न-पत्र के हिस्से के आधार पर परीक्षार्थियों को परीक्षा में उपलब्ध कराया जाएगा जिसके आधार पर उन्हें आंसर लिखना होगा। ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट 11वीं की मार्च में होने वाली वार्षिक परीक्षा का हिस्सा होगा। हालांकि, पहले साल इसे सभी विषयों में लागू नहीं किया जा रहा है। इसे इकोनॉमिक्स, बायोलॉजी और जॉग्रफी में ही लागू किया जाएगा।
यह होगी शिक्षकों की भूमिका
शिक्षकों की भूमिका छात्रों के लिए थ्योरी और व्यवहार आधारित शिक्षण में सेतु स्थापित करने की होगी। उन्हें टेक्स्ट या केस स्टडी ऐसी विकसित करनी होगी जिससे छात्रों को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उनके अंदर विमर्श, विश्लेषण, प्रस्तुतीकरण और आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। शिक्षकों को छात्रों को सीबीएसई से मिले टेक्स्ट मैटेरियल को ग्रुप में भी देने की सुविधा दी गई है जिससे छात्र समूह चर्चा के द्वारा भी उस पर दृष्टिकोण विकसित कर सकें। ऐसे उदाहरण या असाइनमेंट दिए जा सकते हैं जिसमें वह क्लास में पढ़ाई गई थ्योरी को व्यावहारिक उदाहरणों में लागू कर सकें। शिक्षकों को छात्रों की गतिविधियों पर समुचित नजर रखनी होगी और निरंतर उनका फीडबैक भी तैयार करना होगा।
मूल्यांकन के यह होंगे मानक
छात्रों को उपलब्ध कराए गए टेक्स्ट मैटेरियल या केस स्टडी के आधार पर उनके मूल्यांकन के अलग-अलग मानक तैयार किए गए हैं। इसमें परिस्थितिजन्य समस्याओं की समझ और उसके निदान के लिए उपायों का क्रियान्वयन, इनोवेटिव विचार, सुझाव और गंभीर विश्लेषण शामिल हैं।