लखनऊ: सावधानी हटी और दुर्घटना घटी..हर वक्त सावधान रहने के लिए अलर्ट करने वाले इस जुमले पर जिसने अमल नहीं किया वह हादसे का शिकार हो गया या कभी सामने वाले की गलती ने उसकी जान ले ली। आंकड़े बयां करते हैं कि वर्ष 2012 में यूपी सहित समूचे भारत में छह लाख 69 हजार सड़क हादसे हुए। जिनमें एक लाख 42 हजार लोगों की मौत हो गई। पांच लाख 27 हजार लोग घायल हो गए। इसका मतलब हुआ कि भारत में प्रति एक मिनट में एक सड़क दुर्घटना और हर चार मिनट में एक मृत्यु हो रही है। हालांकि यह आंकड़े विकसित देशों की तुलना में कम हैं। यह इसका हल नहीं हो सकता है लेकिन यूपी की बात करें तो हादसों की रोकथाम के लिए केवल 20 महानगरों में 30 लाख रुपए बजट का प्रावधान है।
देश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित एक रिपोर्ट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार ने पेश की है। सड़क हादसे के आंकड़ों में कैसे गिरावट लाई जाए? परिवहन विभाग के अफसर परिणाम तक पहुंच गए। इस संबंध में यूपी परिवहन विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार कर लोगों को जागरूक करने की कोशिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास एवं जनसंख्या में वृद्घि के कारण मोटर वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रतिदिन सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ता जा रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में यातायात नियमों की अनभिज्ञता अथवा नियमों को तोड़ना महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो आरटीओ दफ्तर में यातायात नियम संबंधी जानकारी वाहन चालकों को उपलब्ध करा दी गई है। इसके बावजूद ड्राइविंग लाइसेंस की लिखित परीक्षा में लोग फेल हो रहे हैं। ड्राइवरों के परीक्षा प्रभारी की मानें तो पहले के मुताबिक अब लोग यातायात को लेकर जागरूक हो गए हैं। लिहाजा अस्थाई और स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षा में फेल का आंकड़ा पहले के मुताबिक काफी कम हो गया है।