नई दिल्ली। नई दिल्ली। कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट और सीबीआई के हलफनामे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को जबरदस्त फटकार लगाई और जांच में केंद्र सरकार की दखलअंदाजी पर गुस्सा जताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार के अफसरों के कहने पर सीबीआई की जांच रिपोर्ट का पूरा सार ही बदल डाला गया है। अदालत ने कहा है कि सीबीआई पिंजरे में बंद उस तोते की तरह है जो सिर्फ मालिक की बोली बोलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के उस पूर्व डीआईजी को भी वापस बुलाकर कोयला घोटाले की जांच को उसके अंजाम तक पहुंचाने का निर्देश दिया है जिसने कोयला घोटाले की जांच की थी और जांच पूरी होने से पहले ही उसका तबादला इंटेलिजेंस ब्यूरो में कर दिया गया। गौरतलब है कि कोयला घोटाले की जांच डीआईजी रविकांत ने शुरू की थी लेकिन जांच जब अपने अहम मोड़ पर पहुंची तो रविकांत का तबादला कर दिया गया।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने ये भी कहा कि सीबीआई के कई मालिक नजर आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक सीबीआई स्वतंत्र नहीं है और तोते की तरह मालिक की भाषा बोलती है। दो दिन पहले ही सीबीआई ने ड्राफ्ट रिपोर्ट में सरकारी दखलअंदाजी के मुद्दे पर हलफनामा दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सीबीआई को स्वतंत्र करने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाए जाते हैं तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देने को मजबूर होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच एजेंसी मामले की जांच कर रही है या आरोपियों के साथ जांच की साझेदारी कर रही है। देश की सबसे बड़ी अदालत के मुताबिक कोयला घोटाले की जांच में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से ये भी पूछा कि दो संयुक्त सचिवों को स्टेटस रिपोर्ट क्यों दिखाई गई। उसे सरकारी दबाव से निपटना आना चाहिए। सुनवाई के दौरन सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को भी फटकार लगाई। हालांकि कोर्ट में अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा कि उन्होंने न तो रिपोर्ट मांगी और न ही उन्हें रिपोर्ट मिली। अटार्नी जनरल ने कहा कि मैंने कानून मंत्री की सलाह पर CBI के साथ बैठक की।
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही सीबीआई ने ड्राफ्ट रिपोर्ट में सरकारी दखलअंदाजी के मुद्दे पर हलफनामा दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर सीबीआई इस केस में कर क्या रही है। वो इस मामले की जांच कर रही है या सहयोग कर रही है। कोर्ट ने सीबीआई की स्वतंत्रता की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर सीबीआई को स्वतंत्र करने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाए जाते तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देने को मजबूर होगी।
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कोर्ट ने कहा कि 15 साल पुराने विनीत नारायण केस के समय सीबीआई की स्वायत्ता के जो हालात थे, आज स्थिति उससे बहुत खराब हो चुकी है। सीबीआई का काम सरकार के साथ विचार-विमर्श करना नहीं बल्कि सच्चाई को सामने लाना है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमओ और कोयला मंत्रालय के दो संयुक्त सचिवों को सीबीआई से मिलने और ड्राफ्ट रिपोर्ट में बदलाव सुझाने के लिए निशाने पर लिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की विश्वसनीयता का क्षरण देखना दुखद है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि सरकार के दबाव के खिलाफ कैसे खड़ा रहा जाए। जांच रिपोर्ट कोई प्रगति रिपोर्ट नहीं है जिसे सरकार के साथ साझा किया जाए। कोयला घोटाले में सीबीआई ने केस रजिस्टर्ड करने के अलावा कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं की।