इस्लाहेमआशरा कांफ्रेन्स में कौम को तालीम की जरूरत पर जोर

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कायमगंज (फर्रुखाबाद) : मुसलमानों के पिछडेपन को लेकर चिंतित मुस्लिम बुद्धजीवी वर्ग निरन्तर इस पिछड़ेपन को दूर करने के लिए प्रयास कर रहा है। जिसके चलते जगह जगह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। लगभग सभी कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज से एक ही बात कही जा रही है कि वे अपने बच्चों को हर हालत में तालीम याफ्ता बनाकर कौम के पिछडेपन को दूर करें। इसी क्रम में नगर के समीपवर्ती ग्राम मोहल्ला डुंडी गढ़ी में सईद खां के तम्बाकू गोदाम पर बीती रात इस्लाहे मआशरा कांफ्रेन्स का आयोजन किया गया। जिसका संयोजन नाजिम खां ने किया और संचालन मुफ्ती नुरूद्दीन ने किया। कांफ्रेन्स को सहसवान से आये मौलाना मुफ्ती तंजीम अहमद साहब और पीलीभीत की जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती इजहार अहमद बरकाती ने सम्बोधित किया।

Qymकांफ्रेन्स की इब्तिदा तिलावते कुरान पाक के साथ हुई। इसके बाद बारगाहे रिसालत मआब (सल0) में नाते पाक के नजराने पेश किये गये। कांफ्रेन्स में पूरी रात दरूदो सलाम के नजराने हाजिरीन की तरफ से पेश किये जाते रहे। जलसे को खिताब करते हुये महमाने खुसूसी हजरज अल्लामा मुफ्ती इजहार अहमद साहब ने फरमाया कि जब तक पूरी दुनिया हजरत मोहम्मद (सल0) के बताये हुये सलामती के रास्ते पर नहीं चलेगी सलामती की राह से भटकी हुई दुनिया को सलामती नहीं मिल सकती। सहसवान से तशरीफ लाये मौलाना मुफ्ती तंजीम अहमद साहब ने फरमाया कि अल्लाह ने अपनी किताब (कुरान पाक) में जो पहला हुक्म इंसानों को दिया है वह है पढ़ो। जिन लोगों ने इस हुक्म पर अमल किया और इल्म हासिल किया आज वह दुनिया में तरक्की के आसमान पर सितारों की तरह चमक रहे हैं। लेकिन बदकिस्मती से आज मुसलमान इल्म से दूर हैं। इसलिए आज पस्ती परेशानी, बेराजगारी के शिकार बने हुये हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के तमाम मसाइल का हल तालीम हासिल करने पर ही होगा। इसलिए अगर आगे बढ़ना है और तरक्की करना है तो तालीम के मैदान में आगे बढ़ो। मुफ्ती नुरूद्दीन ने जलसे को खिताब करते हुये कहा कि अल्लाह के रसूल का रास्ता रहमतों और बरकतों का रास्ता है। अल्लाह ने आपको तमाम दुनिया वालों के लिए रहमत बनाकर दुनिया में भेजा था। लेकिन हम जब आपके रास्ते से जितना हटते गये अल्लाह की रहमतों और बरकतों से उतना ही दूर होते चले गये। मेरे आका ने सिखाया था कि बैठकर खाना खाओ, बैठकर पानी पियो, दाहिने हाथ से खाओ पियो, लेकिन आज हमारा खाना पीना उठना बैठना, चलना, फिरना और हमारे तमाम मामलात रसूल के तरीके के विपरीत हैं। हम खडे होकर चलते फिरते खा रहे हैं। रसूल ने बडो के साथ अदब और छोटों के साथ स्नेह करने की तालीम दी थी। हमारा मामला इसके उल्टा है। न बडो का अदब न छोटों से स्नेह। हमारे घरों से रसूल के तरीके पर कायम पाकीजगी रूख्सत हो चुकी हैं। बेहयायी, बेशर्मी और कैबिल कल्चर की बदौलत नाच गानों की भरमार है। ऐसे में जो मुसीबतें हम पर हैं हमारे समाज पर हैं उनके लिए हमारा आचरण ही उत्तरदायी है। आज महिलाओं के साथ जो दुराचारी माहौल नजर आ रहा है वह घरों में दिनों दिन पनपती और बढ़ती वेहयायी का ही नतीजा है। आज भाई भाई का दुश्मन बना हुआ है। जबकि रसूल ने फरमाया था कि मोमिन का आईना है। उन्होंने कहा कि रसूल के तरीके को अपनाते चलो तमाम मसले और परेशानियां अपने आप हल हो जायेगी। जलसे में दीन मुहम्मद इमामी हाफिज फिरोज, भईया खां, शहजाद खां, वसीमुद्दीन खां, पप्पू खां, आविद खां, सैयद राशिद अली के अलावा हजारों की तादाद में श्रोता सुबह तक पूरी अकीदत के साथ उल्माये कराम को सुनते रहे।