चीनी मीडिया के भारत को धमकी देने के बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि वह अपनी चीन यात्रा टाल सकते हैं। शुक्रवार को ईरान जाते समय पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे निश्चित तौर पर चीन जा रहे हैं? इस पर उनका जवाब था, ‘मानवीय मामलों में ‘निश्चित रूप से’ कोई अच्छा शब्द नहीं है, पता नहीं कल क्या हो।’ खुर्शीद की चीन यात्रा नौ मई को प्रस्तावित है। हालांकि चीन के लद्दाख में अतिक्रमण के बाद विपक्षी दल उनकी यात्रा का विरोध कर रहे हैं। सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने तो दावा किया है कि उनके रक्षा मंत्री रहते भारत ने चीनी सेना की घुसपैठ पर उन्हें चार किमी तक खदेड़ा था।
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विशेष विमान में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘लद्दाख मामले में बातचीत का कोई खास नतीजा नहीं निकला है। भारत को चीन से संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। भारत चाहता है चीन लद्दाख की पुरानी स्थिति पर लौटे। देपसांग घाटी में चीन की सेना घुस आई है उसे पीछे हटना होगा।’ इससे पहले बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि खुर्शीद 9-10 मई को चीन यात्रा करेंगे। लद्दाख के देपसांग में चीनी सेना की मौजूदगी का मामला दोनों देश शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने को प्रतिबद्ध हैं। विदेश मंत्रियों की बातचीत पर इसका असर नहीं पड़ेगा। वे द्विपक्षीय व अन्य मुद्दों पर व्यापक विचार करेंगे।
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मुलायम का दावा चार किमी तक खदेड़ा था चीनी सेना को
समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव का दावा है कि उनके रक्षा मंत्री रहने के दौरान भी चीनी सेना ने भारत में घुसपैठ की थी। और भारतीय सेना को दिए आदेश के बाद चीनी सैनिकों को सीमा पार खदेड़ा गया था। और इस प्रक्रिया में भारतीय सेना चीन की सरहद में 4 किमी अंदर तक चली गई थी। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चीन की घुसपैठ के बाद मुलायम सिंह ने संसद में चीन को भारत का दुश्मन नंबर एक बताया था। मुलायम ने यूपीए सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा था कि उन्होंने आज तक ऐसी कायर और डरपोक सरकार नहीं देखी जो किसी घुसपैठ का जवाब देने में कतराती हो।
सलमान ने मुलायम से की मुलाकात-
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की। इस मीटिंग में विदेश मंत्री ने मुलायम को घुसपैठ के मामले पर सरकार के रुख और उनकी ओर से उठाए जा रहे कदम की जानकारी दी। मुलाकात के वक्त खुर्शीद के साथ पीएमओ में राज्यमंत्री वी. नारायणस्वामी भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, 40 मिनट तक चली इस मीटिंग के दौरान सरबजीत का मामला भी उठा। मीटिंग के बाद मुलायम ने कहा, ‘सरकार अब कुछ गंभीरता दिखा रही है। हालांकि, चीनी सेना को हमारे इलाके से बाहर खदेड़े जाने की जरूरत है। यह बहुत गंभीर मामला है।’ इसी के बाद खुर्शीद ने पत्रकारों से कहा था कि उनका चीन दौरा निश्चित नहीं है।
चीन और सरबजीत मुद्दे पर एनडीए नेता मिले राष्ट्रपति से
चीन की घुसपैठ और सरबजीत मुद्दे को लेकर एनडीए का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिला और सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए महामहिम से हस्तक्षेप करने की गुजारिश की। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि इन दोनों मुद्दों पर यूपीए सरकार से उचित कार्रवाई के लिए कहें।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद आडवाणी ने कहा कि सरबजीत को पहले मौत की सजा दी गई थी, जिसे बाद में आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया। पहले हमें यह आभास दिया गया कि उसे रिहा किया जाना है लेकिन बदले की भावना से पाकिस्तान ने उसे अपने यहां ही रोके रखा। आडवाणी ने कहा कि बिना पाकिस्तानी अधिकारियों की मिलीभगत के सरबजीत की हत्या हो ही नहीं सकती थी। सबसे दुखद बात है भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और संबद्ध अधिकारियों ने इस मामले पर लगातार नजर नहीं रखी और न कार्रवाई की। आडवाणी ने कहा कि सरकार पूरे मुद्दे पर स्पष्टीकरण दे और माफी मांगे।
चीन की घुसपैठ को गंभीर बताते हुए आडवाणी ने कहा कि यह मुद्दा 1962 वाले हालात पैदा कर सकता है। उस वक्त ऐसे ही घुसपैठ हुई थी जो बाद में पूर्ण युद्ध में तब्दील हो गई थी। आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार ने कहा है कि यह स्थानीय घटना है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩे के समान है।