लखनऊ: फ्री में लैपटॉप और टैबलेट बांटने पर करोड़ों फूंकने वाली अखिलेश सरकार के पास प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल की परीक्षाएं कराने के लिए पैसे नहीं हैं! आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के पहली से आठवीं तक के बच्चों को परीक्षा के लिए उत्तर पुस्तिका घर से लाने को कहा गया है। यही नहीं, बच्चों को प्रश्न पत्र भी नहीं दिए जाएंगे। परीक्षा लेने वाले टीचरों को निर्देश दिया गया है कि वे ब्लैक बोर्ड पर प्रश्न लिखें।
ऐसी स्थिति इसलिए आई है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने 7 मई से होने वाली इन परीक्षाओं को संपन्न कराने लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है। छात्रों के प्रैक्टिकल ओरल एग्जाम/ 25 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। अब आपको बता दें कि अखिलेश सरकार ने 2012-13 में टैबलेट और लैपटॉप बांटने के लिए बजट में 2,621 करोड़ का प्रावधान किया था, जबकि स्कूल की परीक्षाओं के लिए 35 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें हर बच्चे पर महज 25 रुपये का खर्च आना है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में करीब एक लाख प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल हैं। इन स्कूलों के करीब 1.4 करोड़ बच्चों को अखिलेश सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि सरकार को इस बात का पता नहीं है, लेकिन वह इस पर चुप्पी साधे हुए है। पिछले हफ्ते बेसिक एजुकेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर्स की बैठक में यह मुद्दा उठा भी था, लेकिन सरकार ने फंड के सवाल पर कोई भरोसा नहीं दिया।
जब इस बारे में बेसिक एजुकेशन सेक्रेटरी से पूछा गया तो उनका जवाब था कि प्राइमरी स्कूलों में वार्षिक परीक्षाओं को कॉन्सेप्ट ही नहीं है। पूरे सत्र के दौरान बच्चे की परफॉर्मेंस से उसका आकलन किया जाता है। हालांकि, बेसिक एजुकेशन डायरेक्टर का बयान इसके उलट था। उन्होंने कहा कि हालांकि आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किया जाता है, लेकिन उनके स्तर का पता लगाने के लिए वार्षिक परीक्षाएं ली जाती हैं।