लखनऊ : एटा के अलीगंज सहकारी बैंक में हुए घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (इओडब्लू) ने राज्य सरकार को एलपीआर (लास्ट प्रोग्रेस रिपोर्ट) भेजकर पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव की गिरफ्तारी के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। अवधपाल पर एटा के सहकारी बैंक में 2.77 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपियों को बचाने और जांच प्रभावित करने का आरोप है।
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सूत्रों के मुताबिक मामला वर्ष 2006 का है। एटा के सहकारी बैंक अलीगंज में भूमिहीन किसानों को कर्ज देने के तहत दो करोड़ 77 लाख 96 हजार सात हजार 96 रुपये गबन का मामला सामने आया। इस गबन में बैंक के प्रबंधक और अवधपाल के भाई की भूमिका उजागर हुई। इस मामले में अलीगंज थाने में अमानत में खयानत, धोखाधड़ी और दस्तावेजों के हेरफेर समेत कई आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया गया। इसकी जांच कोआपरेटिव सेल एसआइबी के तत्कालीन निरीक्षक आरसी मिश्र ने की। वर्ष 2007 में तत्कालीन मंत्री अवधपाल सिंह यादव ने मामले को बंद कराने की कोशिश शुरू कर दी। दो दिसंबर 2007 को पत्र भेजकर जांच बंद करने को कहा। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान अवधपाल ने दबाव भी बनाया। बाद में इस मामले की जांच इओडब्लू को दे दी गयी। जांच में पाया गया कि अवधपाल सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जांच प्रभावित की। आरोपियों को बचाने का दोषी मानते हुए इओडब्लू ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजकर अवधपाल समेत सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की अनुमति मांगी है।
शासन की मोहर के बाद ही कार्रवाई का अधिकार :
शासन इओडब्लू की हर विवेचना पर मुहर लगाता है। विवेचनात्मक कार्रवाई पर शासन की संस्तुति के बाद ही इओडब्लू कोई कार्रवाई कर सकता है। इओडब्लू विवेचना पूरी किये बिना कोई गिरफ्तारी नहीं कर सकता है। विवेचना पूरी होने के बाद एलपीआर (लास्ट प्रोग्रेस रिपोर्ट) शासन को भेजी जाती है। शासन की स्वीकृति के बाद ही इओडब्लू को कार्रवाई का अधिकार होता है।
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