दिल्ली : यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह की ओर से दिल खोलकर बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और एनडीए सरकार की तारीफ से एक ओर तो कांग्रेस खुश नजर आ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी के आला काबीना मंत्री आजम खान ने आडवाणी को ‘कमजोर चरित्र’ का नेता करार दे कर एक तरह से नेताजी को झटका दे दिया है।
एसपी सुप्रीमो की बीजेपी के प्रति सामने आई दिलचस्पी से कांग्रेस में एक खुशी भी है। दरअसल, उसे लगता है कि बीजेपी के प्रति एसपी की यह नजदीकी उसे उसके अल्पसंख्यक वोट बैंक से दूर ले जाएगी। एसपी सुप्रीमो पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के नेता रशीद मसूद ने चुटकी ली थी कि उन्होंने आज बीजेपी और आडवाणी की तारीफ की है, कल वह आरएसएस की तरफ बढ़ रहे होंगे। एक तरह से अच्छा ही है कि मॉइनॉरिटी को समझ में आएगा कि कौन असलियत में धर्म-निरपेक्ष ताकतों के साथ खड़ा है।
कांग्रेस को लग रहा है कि अगर वाकई एसपी और बीजेपी पास आते हैं तो यूपी में अल्पसंख्यकों का एक खासा वोट बैंक उसकी तरफ आ सकता है। गठबंधन से जुड़े मुलायम के हालिया बयान के बारे में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना था कि मुलायम सिंह ने कोई नई बात नहीं कही है। उनका कहना था कि कुछ पार्टियां केवल सत्ता की राजनीति करती हैं और उनकी टिप्पणी हमारे लिए कतई चिंता की बात नहीं है।
दूसरी ओर सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने सोमवार को बदायूं में संवाददाताओं से बातचीत में एसपी प्रमुख द्वारा आडवाणी की तारीफ किए जाने संबंधी सवाल पर कहा ‘आडवाणी बाबरी मस्जिद गिराने के दोषी हैं। वह पाकिस्तान बनवाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना की मजार पर माथा टेकते हैं और उन्हें धर्मनिरपेक्ष करार देते हैं। दरअसल आडवाणी कमजोर चरित्र वाले नेता हैं।’ आजम ने कहा कि जिस न्यायाधीश ने आडवाणी को बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप से बरी किया उसने वह फैसला देने के साथ ही नौकरी से इस्तीफा भी दे दिया, क्योंकि वह जानते थे कि जिसे वह बरी कर रहे हैं वह मुजरिम है। उन्होंने कहा ‘कोई भी मुजरिम कभी नहीं कहता कि उसने कत्ल किया है। मुजरिम हमेशा बुजदिल और कमजोर होता है।’ आजम का बयान इस लिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलान बुखारी के सपा से नाता तोड़ने के बाद वह सपा के एक मात्र अल्पसंख्या चेहरा बचे हैं।