सीओ जियाउल हक का हत्यारा बबलू, नन्हे या ‘वो’ जो एक प्रभावशाली नेता है, अब इसी के खुलासे को लेकर हर कोई उत्सुक है।
प्रधान नन्हे यादव की हत्या तो सुनियोजित तरीके से की गई थी, इससे पुलिस से लेकर सीबीआइ टीम भी इत्तेफाक रखती है, लेकिन सीओ जियाउल हक की हत्या को सुनियोजित साजिश मानने को कोई तैयार नहीं था। यह कहा जा रहा था कि सुरेश को गोली लगने के बाद उग्र हुई भीड़ ने सीओ को मौत के घाट उतार दिया था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक ही गोली सीओ की पीठ में लगने की बात सामने आई थी तो यह साफ हो गया कि भागते समय किसी एक ने ही सीओ को गोली मारी है। उसी के बारे में जानकारी करने के लिए ही सीबीआइ टीम ने पहले दिन से पूरा जोर लगा दिया था। भगोड़े पुलिस कर्मियों और अन्य चश्मदीदों से पूछताछ में यह बात सामने आई थी कि सीओ के करीब रहे प्रधान के बेटे बबलू के हाथ में रायफल थी। घटना के समय राजा भैया का एक करीबी और नन्हे गौतम भी सीओ से कुछ ही दूरी पर था। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि सीओ को गोली बबलू, नन्हे या उस प्रभावशाली व्यक्ति ने मारी है। हालांकि बबलू से पूछताछ में इस सवाल का जवाब सीबीआइ को मिल जाएगा।
लीपुर के तिहरे हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ टीम को पहले ही दिन (8 मार्च) पुलिस वालों से पूछताछ में यह जानकारी मिली थी कि सीओ की हत्या का राज प्रधान के बेटे बबलू के पकड़ने जाने के बाद ही खुलेगा क्योंकि घटना के समय उसकी मौजूदगी सीओ जियाउल के पास ही पाई गई थी। इसके बाद से सीबीआइ बबलू की तलाश में जुटी थी। प्रधान के भाई फूलचंद्र के हाथ लगने के बाद यह माना जा रहा था कि जल्द ही बबलू भी सीबीआइ की गिरफ्त में होगा। बबलू ही वह कड़ी है जो सीओ की हत्या के समय मौजूद रहे राजा भैया के करीबियों की भूमिका को बता सकता था। ऐसे में बबलू के पकड़े जाने के बाद यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि राजा के उन करीबियों पर शिकंजा कस सकता है, जिस पर सीओ की हत्या और पिस्टल लूटने को लेकर सीबीआइ को शक है।