हैदराबाद. आंध्र प्रदेश में हुआ बम धमाका क्या अफजल की फांसी का बदला है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अफजल की फांसी के बाद लश्कर ने खुले आम चेतावनी दी थी कि वह इसका बदला लेगा। शुरुआती जांच से शक की सूई भी लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन की ओर जा रही है।गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से जब पूछा गया कि क्या यह अफजल गुरू को फांसी दिए जाने की प्रतिक्रिया थी? तो इसका खंडन करने से उन्होंने इनकार किया। उन्होंने कहा मैं फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कह सकूंगा।
आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद के दिलसुखनगर इलाके में गुरुवार शाम दो शक्तिशाली धमाके हुए थे। शुक्रवार को यहां पहुंचे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि धमाकों में मरने वालों की संख्या 14 हो गई है, जबकि 119 से ज्यादा लोग जख्मी हैं। 6 घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। शिंदे ने मीडिया से कहा, ‘मैंने कुछ घायलों से मुलाकात की है। आंध्र प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। चूंकि, संसद का सत्र चल रहा है इसलिए मैं इतनी जानकारी दे सकता हूं। अलर्ट दिए जाने की बात पर शिंदे ने कहा कि किसी खास इलाके के लिए कोई अलर्ट नहीं था और ‘जनरल’ अलर्ट जारी किया गया था। सरकार जांच में कोई कोर कसर नहीं बाकी रखेगी। घायलों के इलाज में हो रहा खर्च राज्य सरकार उठाएगी।’ ब्लास्ट पर सुशील कुमार शिंदे दिन में 2 बजे संसद में बयान देंगे।
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विस्फोटक में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। दोनों बम धमाकों में करीब एक-एक किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। दोनों विस्फोटकों का कुल वजन करीब ढाई-ढाई किलो से ज्यादा था। धमाके के तरीके से जांच एजेंसियों के शक की सुई इंडियन मुजाहिदीन की तरफ जा रही है। हालांकि, सरकार ने अभी तक औपचारिक तौर पर किसी भी आतंकी संगठन का नाम नहीं लिया है।
इस बीच, बीजेपी ने हैदराबाद ब्लास्ट पर राजनीति भी शुरू कर दी है। पार्टी ने आंध्र प्रदेश में राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह दोपहर दो बजे हैदराबाद के लिए रवाना होंगे।
पाकिस्तान में बनी योजना
खुफिया सूत्रों के मुताबिक हैदराबाद धमाके की योजना पाकिस्तान में बनी थी। बताया जा रहा है कि संसद पर हले हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के बाद लश्कर ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बैठक कर बदला लेने की बात कही थी। यही वजह है कि अफजल गुरु की फांसी के बाद इंडियन मुजाहिदीन पर बड़ी वारदात को अंजाम देने का दबाव बढ़ गया था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन देश के दूसरे हिस्सों में भी ब्लास्ट की योजना बना रहा है। इंडियन मुजाहिद्दीन के नेटवर्क में बड़ी तादाद में पाकिस्तानी आतंकी हैं जो लश्कर व जैश-ए-मुहम्मद के प्रशिक्षित हैं। सूत्रों के मुताबिक इंडियन मुजाहिद्दीन पिछले कुछ दिनों से कमजोर पड़ती जा रही थी इसलिए उसे लश्कर और आईएसआई आर्थिक मदद भी कर रहा था।
घटना के बाद सरकार ने फिर देश भर में अलर्ट जारी कर दिया है। एनएसजी की टीम गुरुवार देर रात ही बीएसएफ के विमान से हैदराबाद पहुंच कर स्थिति को काबू में कर चुकी है। एनआईए की टीम भी हैदराबाद में है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ब्लास्ट की जांच एनआईए को सौंपी जा सकती है।
जांच एजेंसियों ने दिलसुखनगर के कोणार्क थिएटर और बस स्टैंड के आसपास लगे सीसीटीवी में कैद फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया है और उसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को सीसीटीवी से सुराग मिलने की उम्मीद है। गृह सचिव आरके सिंह ने भास्कर से कहा कि यह उच्च क्षमता का ब्लास्ट था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक पहले यह ब्लास्ट मोबाइल से करने की योजना थी, लेकिन बाद में साइकिल और टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल किया गया। इसके पीछे यह शातिर दिमाग था कि मोबाइल विस्फोट से पहले कोई उठा सकता लेकिन खड़ी साइकिल पर किसी का ध्यान जल्दी नहीं जाता है।
हैदराबाद के दिल चारमीनार से बमुश्किल चार किलोमीटर दूर दिलसुखनगर भीड़भाड़ वाला इलाका है। शाम जब दुकानों-दफ्तरों से लोग निकलते हैं तो एक मेला सा लग जाता है। खासकर बस स्टैंड जहां से लोग बस पकड़ते हैं। बस स्टैंड से मेन रोड के उस पार कोणार्क थियेटर समेत 3 बड़े थियेटर हैं। कोणार्क के सामने आनंद टिफिन सेंटर है। जहां युवाओं का जमावड़ा रहता है। शाम 6:58 बजे एक साइकिल पर रखे टिफिन बॉक्स में हुए धमाके ने आनंद टिफिन सेंटर को तबाह कर दिया। पूरा इलाका धुएं से भर गया। जमीन पर 40 से ज्यादा लोग पड़े थे। कई की सांसें बंद हो चुकी थीं। घायलों की चीख और धमाके से मची अफरातफरी से भगदड़ की स्थिति बन गई। लोग फुटओवर ब्रिज से बस स्टैंड की तरफ भागने लगे। तीन मिनट बाद ही ब्रिज के बस स्टैंड वाले छोर पर दूसरा धमाका हुआ। तीन की मौके पर ही मौत हो गई।
एंबुलेंस का इंतज़ार नहीं करते हुए बस स्टैंड के कर्मचारी घायलों को एक सरकारी बस में भरने लगे। एक घंटे के भीतर ओस्मानिया और यशोदा मलकपेट हॉस्पिटल में 70 से ऊपर ज़ख्मी जमा हो चुके थे। अस्पताल में एक और आदमी ने दम तोड़ दिया। दो घंटे में 12 लोग मारे गए। हैदराबाद एक बार फिर आतंक के निशाने पर था। 2002 में दिलसुख नगर में हुए ब्लास्ट में दो लोग मरे थे। 2007 में भी इसी फुटओवर ब्रिज पर बम रखा था। वह फटा नहीं पर गोकुल चाट भंडार और लुंबिनी पार्क धमाकों में 42 लोगों की जानें गई थीं। इससे पहले सात महीने पहले 1 अगस्त 2012 को पुणे में सीरियल धमाके हुए थे।
दिलसुख नगर ही क्यों?
दिलसुख नगर हैदराबाद का बिजनेस हब जैसा है। यहां आईटी कंपनियों और निजी शिक्षा संस्थानों की भरमार है। देश के दूसरे हिस्सों से आए हुए छात्र इसी जगह पर रहते हैं। डेढ़ किलोमीटर के दायरे में 13 सिनेमा हॉल हैं। साथ ही एक बहुत व्यस्त बाजार है।
22 दिनों पहले भटकल को चेन्नई में देखा गया था, हो सकता है आईएम का हाथ
खुफिया ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक हैदराबाद के दिलसुख नगर धमाके के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल को करीब 22 दिनों पहले चेन्नई में देखा गया था। खुफिया विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और यासीन भटकल पिछले कई महीनों से संपर्क में थे।विभाग ने यह जानकारी गृह मंत्रालय को दी थी। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भास्कर से कहा कि खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने देशभर में अलर्ट जारी किया था लेकिन जगह और समय की निश्चित जानकारी नहीं थी। खुफिया विभाग ने यह भी बताया था कि लश्कर और इंडियन मुजाहिदीन के सरगना ने चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद की मोटरसाइकल से रेकी की है।
अक्टूबर 2012 में दिल्ली ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार आतंकी मकबूल को भी इस रेकी की जानकारी थी। यासीन भटकल कुछ दिन पहले चेन्नई भी गया था और वहां से वह हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके में रेकी के लिए गया था। भटकल के साथ कुछ और आतंकी थे, जिनके नाम के कोडवर्ड हैं सिद्धी बप्पा, हड्डी, हसन, डेनियल और अहमद। खुफिया जानकारी के मुताबिक इंडियन मुजाहिदीन बड़े शहरों में स्थानीय माड्यूल तैयार करता है। 11 फरवरी को मुंबई पुलिस ने खुफिया विभाग को यह जानकारी दी थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन और लश्कर किसी बड़े शहर में विस्फोट की योजना बना रहे हैं। हाल में कुछ आतंकियों के जम्मू के इलाकों में पनाह लेने की खबर मिली थी। उनका मंसूबा देश के कुछ बड़े शहरों में आतंकी वारदात को अंजाम देना था।
धमाकों से पहले
गृहमंत्री शिंदे ने स्वीकारा कि उनके पास दो दिन पहले सूचना आई थी कि आतंकी विस्फोट कर सकते हैं। खुफिया जानकारी गृह मंत्रालय को मिली थी। हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई को अलर्ट भी भेजा गया था। गुरुवार सुबह ताजी चेतावनी आने के बाद साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर अनुराग शर्मा ने दिलसुख नगर समेत अन्य संभावित जगहों का निरीक्षण किया। हाल ही में कर्नाटक में लश्कर का माड्यूल पकड़ा गया था। गिरफ्तार लोगों में से एक ने कहा था कि दिलसुख नगर आतंकियों के निशाने पर है।
धमाकों के बाद
महाराष्ट्र एटीएस, दिल्ली से एनएसजी व एनआईए टीम हैदराबाद पहुंची।
पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज हुआ।
अफवाह ने फैले इसलिए इलाके में मोबाइल सेवा पर रोक लगा दी गई।
सभी राज्यों में दोबारा अलर्ट जारी किया। कुंभ पर खास नजर।
धमाके के बाद जांच में फुटओवर ब्रिज और बस स्टॉप दो जिंदा बम मिले।
आतंकी ने बता दिया था इरादा
पिछले साल गिरफ्तारी के बाद आतंकी सैयद मकबूल ने दिल्ली पुलिस को बताया कि आईएम के आतंकी रियाज़ भटकल के कहने पर दिलसुख नगर और कोणार्क थिएटर की रेकी की थी।
2007 बनाम 2013 : एक जैसा तरीका
2007 में हैदराबाद के गोकुल चाट और लुंबिनी पार्क में धमाके हुए थे। जो दिलसुख नगर की तरह ही बहुत ही व्यस्त क्षेत्र है। दोनों बार थियेटर और बस अड्डे के पास ही धमाके हुए। दोनों बार दो-दो ब्लास्ट हुए। बम बनाने के लिए टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल, ब्लास्ट में टाइमर का ही उपयोग। समय भी एक जैसा, देर शाम 7 से 8 बजे के बीच।