फर्रुखाबाद: भारतीय महा विद्यालय में जलवायु परिवर्तन और कार्बन की राजनीति विषय पर भूगोल विभाग की ओर से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मिथलेश अग्रवाल ने कहा कि संगोष्ठी से नहीं अच्छे नियमों को पाठ्यक्रम का अंग बनाकर एवं अपने जीवन में उतारकर पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सकता है। [bannergarden id”8″]
उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए औद्योगीकरण को सीमित किया जाना चाहिए। ऐसी संगोष्ठियां विद्यालयों के लिए आवश्यक हैं। ये छात्रों के मतिष्क पर स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं। मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा इसीलिए ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है। हमें चतुर चितेरे ईश्वर की प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इन नियमों को मात्र गोष्ठी नहीं पाठ्यक्रमों का अंग बनाना चाहिए। प्रातः भ्रमण मानव की उन्नति का साधन है। वृक्षारोपण, गंगा आदि नदियों को स्वच्छ रखा जाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ ने कहा कि दाढ़ी मूछ मुड़ाई के हो गये घोटम घोट, अन्तर क्यों मूड़ा नहीं जामे भरी है खोट। उन्होंने कहा कि अपने अन्दर सुचिता पर बल दें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का प्रयास करें।
एनएकेपी महा विद्यालय की प्राचार्या आशा दुबे ने कहा कि सबसे पहले हमें अपने मानसिक प्रदूषण को दूर करना चाहिए व ईर्ष्या द्वेष त्यागना चाहिए। हमें धन लोलुपता को त्याग कर सन्तोष करना चाहिए।
इस दौरान कालेज के प्राचार्य डा0 विश्राम सिंह ने समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर योगेश तिवारी, डा0 विनेश सचान, डा0 मनमोहन गोस्वामी, डा0 विनीता मिश्रा, कृष्णकांत अक्षर, डा0 आलोक शुक्ल, डा0 अबधेश शुक्ल, गायत्री मिश्र, अजय वर्मा, प्रदीप शुक्ल, विवेक शुक्ल, सर्वेश कुमार आदि उपस्थित रहे।