रामनगरिया माघ मेला लगने में मात्र एक सप्ताह शेष, गंगा में घुल रहा जहर

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फर्रुखाबाद: जनपद में ऐतिहासिक रामनगरिया मेला 27 जनवरी से शुरू होने जा रहा है लेकिन प्रशासन ने गंगा के पानी को पवित्र बनाने के कागजात पूरे करने के अलावा कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किये गये हैं। उच्चाधिकारियों के दबाव के बाद कुछ दिन छपाई कारखानों को बंद कर व बांध लगाकर पानी तो रोकने की कोशिश की गयी लेकिन दोबारा वही नाला गंगा में जहरीला पानी घोलने के लिए छोड़ दिया गया।

इलाहाबाद कुम्भ मेले को लेकर एक माह पूर्व से ही प्रशासन कागजों में गंगा नदी को निर्मल व पवित्र बनाने में जुटा है। गंगा को पवित्र कर देने की रिपोर्टें भी पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड को भेज दी गयीं। लेकिन हकीकत में देखा जाये तो आज भी गंगा में उसी तरीके से शवों का दाह संस्कार, वही जहरीले नालों से हजारों क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। जहरीले पानी से जलीय जीव भी कई बार मर चुके हैं जिससे विभिन्न समाजिक संगठनों ने प्रशासन को अवगत कराया। लेकिन आज तक इसके लिए न ही फर्रुखाबाद में प्रशासन की तरफ से कोई ट्रीटमेंट प्लांट लगवाया गया और न ही विद्युत शवदाह गृह बनवाया गया।

हकीकत में देखा जाये तो लावारिश शवों को पुलिस द्वारा आज तक किसी एक को भी लकड़ियों इत्यादि से नहीं दफनाया गया और न ही कब्र में दबाया गया। लावारिश शवों को पुलिस द्वारा गंगा में खुले पानी में प्रवाह कर दिया जाता है। जिससे न जाने कितने जीवाणु व विषाणु गंगा में घुलकर गंगा के जल को प्रदूषित कर रहे हैं।

वहीं कुम्भ मेले को लेकर प्रशासन ने जिन शौचालय इत्यादि के पानी को गड्ढा खोदकर उसमें डालने की बात कही थी उस शौचालय का पानी आज भी गंगा में सीधे जा रहा है। हकीकत यह है कि प्रशासन द्वारा पिछले एक माह से की जा रही गंगा सफाई की कवायद जीरो ही साबित हुई है। क्योंकि बंद नाले दोबारा गंगा में छोड़ दिये गये हैं, शौचालय का पानी गंगा में जा रहा है। लावारिश शवों को आज भी गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है, वहीं शव दाह से बचने वाला कूड़ा कचरा इत्यादि भी गंगा में खुला प्रवाहित किया जा रहा है। जिससे पवित्र गंगा की दशा इस समय सुनायी नहीं जा सकती।