फर्रुखाबाद : फतेहगढ़ स्थित दरगाह सत्तारिया से मुहर्रम के अवसर पर ताजियों जुलूस निकाला गया। ताजिये में कड़ाके की ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में अकीदतमंद व शहर के लोग शामिल हुए। इस मौके पर फतेह निशानों(अखाड़ों) ताजिया प्रदर्शन के साथ आपसी सदभाव का नजारा पेश किया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने पूरी अकीदत के साथ पारंपरिक ढंग से चेहल्लूम जुलूस निकाला व यादे शहीदान-ए-कर्बला में फातेहा नजर किए।
अबरार हुसैन के नेतृत्व में दरगाह सत्तारिया से निकाले गये ताजिये के जुलूस के आगे पटेाबाजों ने भी करतब दिखाये। जुलूस को फतेहगढ़ कोतवाली से होते हुए कचहरी रोड, गाढ़ी खाना, मछली टोला, कानपुर रोड होता हुआ जुलूस जुलूस दरगाह सत्तारिया पहुंचा। जुलूस में शामिल लोगों ने रास्ते भर अपने करतब दिखाये। जगह जगह लोगों ने ताजिये के हुजूम का स्वागत किया। ताजिये को देखने के लिए सड़क के दोनो तरफ महिलायें, बच्चों की भारी भीड़ रही। जिसमें रफीक अहमद, पप्पन मियां शमीम अहमद, रहीश हैदर, मंसूर हुसैन जैदी, महफूज हुसैन जैदी, बदरुद्दीन, जमील अब्बासी, सलीम अहमद, कलाम आजाद, इमरान अली आदि लोग मौजूद रहे।
वहीं कायमगंज में चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर पूर्व निर्धारित इमाम चौकों पर चेहल्लुम के ताजिये रखकर पूरी रात अकीदत मंदों ने भारी भीड़ के साथ इमाम चौंकों पर हाजिरी देकर फातिहा दरूद के साथ शहीदाने करबला की बारगाह में अकीदत के साथ दरूदो सलाम के नजराने पेश किये। पूरी रात क्षेत्र की सभी गलियां आशिकाने हुसैन की पद चापों से जागतीं रहीं।
बुधवार इशाकी नमाज के बाद क्षेत्र के मोहल्ला अताईपुर, कटरा, भुड़िया, मऊरशीदाबाद, सैदपुर, लालबाग, गऊटोला, रायपुर, कम्पिल, शमसाबाद के निश्चित इमाम चौंकों पर चेहल्लुम के ताजिये तकबीरों की पुरशोर सदाओं और मर्सियों की दर्द भरी निदाओं के बीच लोगों ने करबला घटना की याद में ताजिये रखे। इस दौरान पूरी रात सभी ताजियों पर भारी भीड़ मौजूद रही। पूरी रात फातिहा दरूद व नजरों नियाज का सिलसिला चलता रहा। जगह जगह इमाम चौंकों पर आशिकाने हुसैन मर्सिये पढ़कर अपने आका की याद में आंसू बहाते रहे। ताजियों पर हलीम की देगों की तैयारी के साथ रात भर तबर्रूक तकसीम होेता रहा। कुछ जगहों पर लोगों ने सर्दी भरी इस रात में आने जाने वालों को चाय और काफी पीने के लिए पेश की। क्षेत्र में ताजिये देखने वाले पूरी रात एक ताजिये से दूसरे ताजिये पर आते जाते देखे गये। जिनकी पदचापों से पूरी रात क्षेत्र की गलियां गूंजतीं रहीं। कडाके की हाड़कपाऊ ठण्ड और घना कोहरा भी आशिकाने हुसैन के हौसलों को परास्त न कर सका और वे कोहरे की चादर चीरते ठण्ड के थपेडे झेलते अपने आका की खिदमत में हाजिरी के लिए इमाम चौंकों की जानिब सुबह तक आते जाते रहे।