फर्रुखाबाद: सोमवार को स्पीड पोस्ट से प्राप्त उर्दू में लिखे एक धमकी भरे पत्र को लेकर पुलिस व प्रशासन में चर्चा बनी रही। यह पत्र जमात-ए-इस्लामी के किसी शावेज की ओर से हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष दीपक द्विवेदी एडवोकेट को लिखा गया है। परंतु पत्र की भाषा ने लिखने वाले के उर्दू भाषा के ज्ञान के साथ-साथ प्रेषक के भी फर्जी होने की कलई खोल कर रख दी है। फिलहाल पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच सीओ सिटी को सौंप दी है। जानकार लोग इसमें 6 दिसंबर से पूर्व शहर का माहौल बिगाड़ने की साजिश की भी बू सूंघ रहे हैं।
अलीगढ़ से पोस्ट किये गये इस पत्र में भेजने वाले ने स्वयं को रियास का सर्बराह लिखा है। जबकि जमात-ए-इस्लामी में इस तरह का कोई पद होता ही नहीं है। पत्र की उर्दू से स्पष्ट है कि यह किसी उर्दू की मामूली जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने गूगल-ट्रांसलेट पोर्टल की मदद से हिंदी में लिख कर उसके उर्दू अनुवाद का प्रिंट आउट लिया है। क्योंकि जमात-ए-इस्लामी से संबंधित किसी व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह फ़र्रुखाबाद, फ़र्रुखसियर, ज़मीं, मद्देनज़र जैसे शब्दों को गलत लिखेगा। और-तो-और पत्र को भेजने वाले अपना और अपनी संस्था का नाम तक उर्दू में गलत लिखा है। शाजेब (شاجے ب) उर्दू का शब्द ही नहीं है। वास्तव में शाहज़ेब (شاہزیب) लिखा जाना चाहिये था, जबकि जमात-ए-इस्लामी(جماعت-اے -اسلامی ) नहीं उर्दू में जामत इस्लामी (جماعت اسلامی ) लिखा जाता है। मज़े की बात तो यह है कि पत्र की शुरुआत में सलाम तक गलत अस्सलाम वालेकुम (اسسلام ولے کم) लिखा गया है, जबकि सही अस्सलामो अलैकुम (اسسلام و علیکم) है। दूसरी बात यह है कि इस्लाम में किसी गैर मुस्लिम को सलाम करने की इजाजत ही नहीं है। इतनी मामूली सी बात किसी इस्लामी धार्मिक संगठन से जुड़े व्यक्ति को मालूम न हो, ऐसा हो नहीं सकता। इसनी बहुत सारी गलतियों से लिखने वाले के मुसलमान होने में भी संदेह होने लगता है।
स्थानीय जमात-ए-इस्लामी के पदाधिकारियों के नाम पर दो चार बुजुर्ग ही बचे है जो कभी कभार किसी धार्मिक सम्मेलन मे दिख जाते हैं। जिम्मेदार लोगों ने संस्था से जुड़े किसी शाहज़ेब से अनभिज्ञता प्रकट की है। कुछ तो यह भी कहने से नहीं चूके कि हो सकता है कि क्योंकि तीन दिन बाद 6 दिसंबर आ रही है, इसके मद्देनजर समाज में माहौल को तनाव पूर्ण बनाने के लिये किसी सांप्रदायिक संगठन ने यह साज़िश रची हो। मजे की बात है कि पत्र भेजने वाले ने यह पत्र में पते के स्थान पर दीपक द्विवेदी को हिंदू जागरण मंच का जिलाध्यक्ष नहीं लिखा है। उसने दीपक द्विवेदी को एडवोकेट लिखा है, और पत्र को घर पर न भेजकर कचहरी भेजा है। कचहरी में भी साफ तौर पर सिविल कोर्ट कंपाउंड का उल्लेख किया गया है। जबकि आम स्थानीय आदमी तक यह नहीं जानता कि कचहरी में सिविल कंपाउंड कौन सा है। इससे यह स्पष्ट है कि पत्र भेजने वाला कचहरी से ही संबंधित कोई व्यक्ति है।
फिलहाल श्री द्विवेदी ने पत्र की प्रति पुलिस अधीक्षक को सौंप कर मामले की जांच कराये जाने की मांग की है। पुलिस अधीक्षक ने सीओ सिटी को जांच सौंपी है।