फर्रुखाबाद: कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। समर्थन तो सिर्फ सत्ता की चाह और पार्टी में अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए होता है। जिस तरह क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ी टीम में अपनी जगह बनाये रखने के लिए शतक मारने का प्रयास करता है। ठीक वैसा ही कांग्रेस के खेमे में केजरीवाल के विरोध को लेकर हुआ। जहां एक तरफ संगठन के मुट्ठी भर लोगों ने अपनी साख बचाने के लिए केजरीवाल को काले झण्डे दिखाये तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी रहे किसी भी व्यक्ति ने केजरीवाल के विरोध में शामिल होने की जहमत तक नहीं उठायी। एक प्रत्याशी तो सभा स्थल से महज चंद कदमों की दूरी पर ही आवास पर केजरीवाल के द्वारा लगाये जा रहे सलमान पर आरोपों की झड़ी को सुनते रहे।
डूबने वाले को तिनके का सहारा होता है और शायद ऐसा ही सहारा इस समय देश के विदेश मंत्री सलमान को अपने संसदीय क्षेत्र के कांग्रेसियों से था। लेकिन कुछ कांग्रेसी तो संगठन और सलमान की नजर में अपनी साख बचाये रखने के लिए, तो कुछ मीडिया में छाये रहने के चक्कर में विरोध करते रहे लेकिन सलमान ने जिनको बीते विधान सभा चुनाव में जिनहें टिकट दिलवाया उनमें से कोई भी विरोध प्रदर्शन में नजर नहीं आया। बात करें भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे रामसेवक यादव, अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र से कुलदीप गंगवार व कायमगंज क्षेत्र से शकुंतला गौतम की, तो इनमें से कोई भी विरोध प्रदर्शन में नजर नहीं आया।
सलमान खुर्शीद ने बीते कुछ माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में इन प्रत्याशियों को जीत हासिल कराने के लिए क्या कुछ नहीं किया। लेकिन चुनाव में हार का मुहं देखने के बाद तो ऐसा लगा कि इन प्रत्याशियों पर से कांग्रेस का रंग ही उतर गया। शर्मा हुजूरी तक को सामने नहीं आये। कहने को तो यह प्रत्याशी अपने वाहनों में कांग्रेसी झण्डा लगाकर बड़े चाव से घूमते हैं लेकिन जब उसी कांग्रेस पर आरोपों के बादल मड़राये तो इन लोगों पर कोई फर्क नहीं आया। जब 1 नवम्बर को जब पूरे देश से लोग फर्रुखाबाद पहुंच रहे थे तो कांग्रेस खेमे में उनके विरोध को लेकर उबाल मच रहा था। भले ही यह उबाल दिखावटी हो। मुट्ठी भर कांग्रेसियों ने अरविंद को काले झण्डे दिखाकर पुतला जलाया लेकिन कांग्रेसी कांग्रेस का शो अच्छा नहीं रहा। अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र प्रत्याशी रहे कुलदीप गंगवार का आवास तो सभा स्थल से चंद कदमों की दूरी पर है।