खबरीलाल: पत्रकार वार्ता या पति पत्नी की जुगुलबंदी

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खबरीलाल तो खबरीलाल ठहरे। मुंशी हरदिल अजीज और मियां झान झरोखे को बताये बिना शनिवार की रात कालिन्दी पर सवार होकर इतवार की सुबह दिल्ली पहुंच गए। यहां इतवार को सुबह मुंशी और मियां चाय काफी पीने की गरज से खबरीलाल के घर पहुंचे। तब पता लगा कि दिल्ली से खबर आते ही कि अपने सलमान मियां लंदन की शानदार विजिट के बाद दिल्ली वापस आ रहे हैं। शाम को उनके निवास पर पत्रकार वार्ता होगी। जिसमें वह स्वयं अपने अपनी पत्नी और अपने नाना पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय जाकिर हुसैन के नाम पर बने ट्रस्ट पर अरविंद केजरीवाल और विभिन्न चैनलों द्वारा लगाए जाने वाले घटिया बे बुनियाद और झूठे आरोपों का सिलसिले वार जबाब देंगे।

मियां और मुंशी समझ गए कि दिल्ली और लखनऊ के नए कद्रदान खबरीलाल यह खबर पाकर कहां रुकने वाले हैं। दोनो ने खबरीलाल को कई बार फोन मिलाया, स्विच आफ। एसएमएस किया। जहां भी हो तत्काल बात करो। दूसरे नंवर से खबरीलाल का एसएमएस आया। एआर पोर्ट जा रहे हैं। सलमान साहब का ऐतिहासिक स्वागत देखने। शाम को पत्रकार वार्ता के बाद डिटेल में रिपोर्ट भेजेंगे। इन्तजार करना लेकिन इससे पहले डिस्टर्व मत करना। मुंशी और मियां के पास इंतजार करने और चैनलों के लाइव प्रसारण को देखते रहने के अलावा कोई चारा ही नहीं था।

सायंकाल 7 बजे के आस पास खबरीलाल का मैसेज आया। बोले देखा अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। चापलूसों को बुरे वक्त में ताड़ना, प्रताड़ना, उलाहनों, उपालंभ के अलावा मिलता भी कुछ भी नहीं है। अपने दामाद वाड्रा के बचाव में पहिले ही दिन खुल कर सामने आने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए सलमान साहब हर समय जान देने को तैयार रहते हैं। उनकी देखा देखी सारे दिग्गज कांग्रेसी नेता वाड्रा के बचाव में आए। परन्तु आज हमारे सलमान साहब संकट में हैं। तब सारे के सारे कांग्रेसी दिग्गज नेता मंत्री तो खामोश हैं ही। अपने अनन्य भक्त सलमान के बचाव में सोनिया गांधी तक कुछ नहीं बोलीं। वह सामान्यतः बोलती भी नहीं हैं। और तो और हर बार मुहं खोलकर लगाम लेने वाले दिग्विजय सिंह, जगदम्बिका पाल, राशिद अल्वी, मनीश तिवारी जैसे लोग भी खामोश हो गए। बहाना यह कि यह सलमान साहब के ट्रस्ट का निजी मामला है। इन लोगों से कोई पूंछे वाड्रा साहब का मामला क्या विशुद्ध कांग्रेसी और राष्ट्रीय महत्व का मामला है। खैर

खबरीलाल बोले तुम दोनों ने दूरदर्शन पर पत्रकार वार्ता का तो आनंद लिया ही होगा। हमें देखा कि नहीं। हम तो सलमान साहब के विजनेस पार्टनर तथा उनके कट्टर समर्थक चांदनी चौक के एक जरदोजी व्यापारी के बीच सलमान साहब और मैडम के पीछे खड़े थे। पहिले सभी लोग चकराए। परन्तु बाद में मौके की नजाकत को देखकर जमकर प्यार उड़ेला गया। खातिर भी जमकर हुई। खबरीलाल बोले जा रहे थे और मोबाइल लाउड पर करके मुंशी और मियां दम साधे सुन रहे थे। पत्रकार वार्ता के विषय में जो हमने देखा वही तुमने देखा। परन्तु पत्रकार वार्ता में ‘‘शट अप’’ ‘‘मरता क्या न करता’’ ‘‘तुम्हें मैं कोर्ट में देख लूंगा’’ बार बार पानी पीना अपने को निर्दोष बताने के लिए गलत चित्र (फोटो प्रस्तुत करना) तन कर खड़े हो जाना तथा मियां बीबी की लंबी जुगुलबंदी देखने लायक थी। कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि यह भारत जैसे बड़े महान देश के विधिमंत्री की पत्रकार वार्ता है।

खबरीलाल बोले सलमान साहब का हाथ पकड़कर कभी मैडम लुईस उन्हें गुस्सा न करने से रोकतीं। कभी सलमान साहब मैडम को समझाते। कभी मीडिया को अपनी जेब में समझने वाले पति-पत्नी खड़े होकर इस अंदाज में फोटो दिखाते जैसे सेल्समैन काउंटर पर अपना माल दिखाता है। परन्तु केजरी वाल तो केजरी वाल ठहरे। खुलासा किया कि मामला 2009-10 का है। फोटो 2010-11 की दिखाई जा रही है। मंच पर सलमान के पीछे खड़े वह लोग जो सलमान साहब के सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। वही सलमान के आवेश में आने पर उन्हें हाथ पकड़कर शांत करते। पानी पिलाते और बुरे वक्त में साथ होने के नंबर बढ़वाने के लिए कैमरे के सामने हिदायत और सलाह भी देते।

खबरीलाल बोले कांग्रेस से राजनैतिक यात्रा शुरू करके भाजपा अपनी स्वयं की पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाने फिर उसका सपा में विलय करने फिर बसपा में शामिल होकर पुनः सपा में आने वाले नरेश अग्रवाल सलमान साहब के नए संकट मोचक बनकर आए हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में यह दोनो महारथी एक दूसरे के आमने सामने थे। सलमान जीते थे। नरेश अग्रवाल रनरअप रहे थे। इस नयी दोस्ती का रहस्य भी बहुत जल्दी सामने आ जाएगा।

खबरीलाल बोले केजरीवाल का धरना जारी है। बहुत लंबी बात नहीं हो सकती। हमें अपने सूत्रों से पता यह चला है कि केजरीवाल पहली नवम्बर को फर्रुखाबाद में डेरा डालेंगे। कांग्रेसी इस समय अपने बिलों में दुबके हुए हैं। परन्तु भाजपाइयों से सावधान रहना। हाथी सिंह और सायकिल सिंह इन पचड़ों में शायद ही पड़ें। परन्तु कमलसिंहों की ऐसे मौकों और मामलों में अपनी नाक घुसेड़ने की पुरानी आदत है। जब भी कोई नया आंदोलन चलता है। यह उसमें घुसकर तमाशा देखने पहुंच जाते हैं। वैसे सबको आजादी है। परन्तु पेशेवर तमाशबीनों से केजरीवाल और उनके साथी बचे रहें तो ही अच्‍छा है। तब फिर सलमान का 2014 में प्रारंभ होने वाला राजनैतिक वनवास शायद कभी भी समाप्त नहीं हो। हालात से लगता है कि मतदान का प्रतिशत इस बार आश्चर्यजनक रूप से बढ़ेगा।

खबरीलाल बोले अब बस करते हैं। सलमान खुर्शीद की पत्रकार वार्ता में और केजरीवाल के धरना स्थल पर दो लिफाफे मिले हैं। इन दोनो का मजमून एक ही है। कल इस पर विस्तार से बात करेंगे। अभी जल्दी दिल्ली से वापस आने का कोई कार्यक्रम नहीं है। अच्छा जय हिन्द!

सतीश दीक्षित
एडवोकेट