फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार जेलों को हाईटेक बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। सरकार के जेल मंत्री भी इस बावत कई बार अपना वयान मीडिया में दर्ज करा चुके हैं, कि जेल में बंद सजा याफ्ता कैदियों को सुविधाओं के साथ-साथ उनके खानपान, रहन सहन और अपने परिवार से बात करने के लिए टेलीफोन की व्यवस्था की जायेगी। लेकिन वहीं दूसरी तरफ अगर अभिलेखों को खंगालें तो जो नतीजे अभी तक सामने आये उनसे यह साफ नजर आता है कि सेन्ट्रल जेल के ज्यादातर कैदियों की मौत क्षय रोग के होने से ही होती है। लेकिन इस पर जेल विभाग विचार कितना कर रहा है यह भी जेल की सलाखों के पीछे ही कैद है।
केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ में इस समय ढाई हजार सजा याफ्ता कैदी बंद हैं। जिनके साथ अनदेखी के चलते बुजुर्ग होते होते लगभग हर कैदी क्षय रोग का शिकार हो रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि जेल में क्षमता से कहीं अधिक कैदी बंद हैं। जिन कैदियों को क्षय रोग है उन्हें भी स्वस्थ बंदियों के साथ बंद कर दिया जाता है। नतीजन अन्य कैदी भी क्षय रोग की चपेट में आ जाते हैं। लोहिया अस्पताल आने वाले सेन्ट्रल जेल के अधिकतर कैदी क्षय रोग से ही पीड़ित होते हैं और उनकी उम्र 45 से 60 के बीच में ही होती है। जेल में मिलने वाले कैदियों के खान पान में सफाई न होना भी इसका एक मुख्य कारण है। जेल के अंदर कुछ खास असरदार कैदियों को ही खान पान व रहन सहन की अच्छी सुविधा मुहैया करायी जाती है और आम कैदी के खान पान का सीधा असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है। नतीजन अधिकतर मरीज टीवी के अलावा अन्य खतरनाक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
वृद्व कैदियों में क्षय रोग के अलावा मोतियाबिन्दु की भी बीमारी तेजी से पनप रही है। जिनका समुचित इलाज न हो पाने के कारण कई वृद्व कैदियों की आंखों की रोशनी लगभग चली सी गयी है। लेकिन जेल प्रशासन इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हर बार जेल में कैदियों की आंख के आपरेशन के लिए कैम्प लगाकर खानापूरी कर दी जाती है। नतीजन कैदी अपनी रोशनी तक गंवा बैठते हैं।
जेल मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस सम्बंध में कई बार अपने विचार व्यक्त कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश की सभी जेलों को हाईटेक करने की घोषणा से जेल के अंदर बंद बंदियों को काफी खुशी का अनुभव हुआ था। लेकिन घोषणा के कई महीने बाद भी मामला अभी भी ढाक के तीन पात नजर आ रहा है।