डीएसओ को ही नहीं मालूम, आन लाइन भी बन सकते हैं राशनकार्ड

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फर्रुखाबाद: जनपद में अधिकारियों की लापरवाही अब हद पार कर चुकी है जिसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जनपद के जिला पूर्ति अधिकारी को अपने विभाग से सम्बंधित यह तक जानकारी नहीं है कि उनके विभाग द्वारा बनाये जाने वाले राशनकार्ड आन लाइन भी बनाये जा सकते हैं। इसका खुलासा उस समय हुआ जब जेएनआई टीम उनसे राशनकार्डों से सम्बंधित जानकारी लेने पहुंची।

आम जनता की सुविधा के लिए शासन स्तर से लगभग दो दर्जन से अधिक योजनाओं को आन लाइन उपलब्ध कराये जाने का फैसला लिये लगभग एक माह हो चुका है लेकिन अभी तक जनपद स्तरीय अधिकारियों को अपने विभागों के सम्बंधित जानकारियां नहीं हो पायीं हैं। जिसके चलते अभी भी आम उपभोक्ता सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए विभागीय अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं और अधिकारी लापरवाही के चलते कोई सुनवाई नहीं करते। जिससे पात्र लोग योजनाओं से वंचित हैं। इसी का खुलासा करने के लिए जब जेएनआई टीम जनपद के डीएसओ कार्यालय पहुंची तो वहां पर पहले तो यह कहकर वापस करना चाहा कि अभी तो राशनकार्ड बन ही नहीं रहे हैं। लेकिन जब जेएनआई रिपोर्टर द्वारा शासन द्वारा जारी किये गये जीओ को दिखाया गया तो जिला पूर्ति अधिकारी स्वयं ही बोल पड़े कि अरे उन्हें तो इस जीओ की जानकारी ही नहीं थी।

अब देखने वाली बात है कि विभाग के मुखिया को ही शासन स्तर की योजनाओं की जानकारी नहीं रहती तो सम्बंधित अधिकारियों व लिपिकों को कौन बतायेगा कि शासन स्तर से क्या निर्णय लिये गये हैं और उनको अमल में कौन लायेगा। यही बजह से कि जिले में राशन वितरण प्रणाली की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जरूरत मंदों के राशनकार्ड तक नहीं है और गैर जरूरतमंद व कालाबाजारियों को पूरा तामझाम ही सौंप दिया गया। जनपद के शहर क्षेत्रों में लोगों के जागरूक होने से भले ही कुछ लोगों को राशन इत्यादि मिल जाता हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का हाल यह है कि गांवों से आने वाले कोटेदार महीने में मिलने वाले अपने कोटे का मिट्टी का तेल रेलवे स्टेशन पर स्थित डिपो पर रजिस्टर में ही तेल चढ़वाकर वहीं पर बेचकर चले जाते हैं। यह बहुत ही गंभीर बात है कि मिट्टी का तेल न ले जाकर कोटेदार जेबों में रुपये भरकर ले जाते हैं। लेकिन विभागीय अधिकारी जेबें भरने के चक्कर में सारे काले कारनामों पर मिट्टी डालने में व्यस्त रहते हैं।