फर्रुखाबाद: जिस तरफ देखिये उस तरफ शिवाय लापरवाही और भ्रष्टाचार के अलावा दूसरा कोई पर्याय नजर नहीं आता। भ्रष्टाचार और घूसखोरी की बात हो और एआरटीओ विभाग का नाम न आये ऐसा मुमुकिन नहीं। कहीं कम उम्र के युवक को ड्राइविंग लाइसेंस तो कहीं बगैर लर्निंग बनाये सीधा ड्राइवरी लाइसेंस जारी कर देना विभाग के लिए बहुत छोटी सी बात है। इसमें कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक कागज को इधर उधर ले जाने में बाहर बैठे दलाल मुख्य भूमिका अदा करते हैं। ऐसा ही एक मामला मंगलवार को तहसील दिवस में सामने आया। जहां छक्का दलपतिराय मोहल्ले के सुमित मिश्रा पुत्र स्व आर्येन्द्र कुमार ने तहसील दिवस में प्रार्थनापत्र दिया।
प्रार्थनापत्र में उसने अपने ड्राइविंग लाइसेंस जोकि कर्मचारियों ने 9 साल पूर्व फर्जी रूप से तैयार कर दिया था। जिसके तीन तीन वर्ष के अंतराल में नवीनीकरण भी किये जाते रहे। इसी बीच किसी तरह से सुमित का लाइसेंस भीग जाने से वह उसकी दूसरी कापी निकलवाने के लिए पुनः एआरटीओ कार्यालय पहुंचा तो उसे जानकारी हुई कि उसका डीएल फर्जी है। 9 वर्ष से चले आ रहे लाइसेंस को वही कर्मचारी जो नवीनीकरण करते रहे लेकिन दूसरी प्रति निकलवाने की बात पर मामले का खुलासा तब हुआ जब उसे पता चला कि उसका ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी है। इस सम्बंध में उसने तहसील दिवस में प्रार्थनापत्र देकर राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है।