फर्रुखाबाद: कहावत है कि लालच बुरी बला होती है और लालच में कोई आये न आये लेकिन महिलायें लालच के चलते अपना सब कुछ गवां बैठतीं हैं। नगर में पिछले कई दिनों से भोली भाली महिलाओं को लालच देकर उनका जेबर दूना करने के बहाने तिलकधारी ठग ठगई कर रहे हैं। जिनका शिकार रविवार को सुबह एक महिला हो गयी। महिला से तिलकधारी ठगों ने उसके कुन्डल व नगदी को दूना करने के बहाने उतरवा लिए और रफूचक्कर हो गये।
वाकया फतेहगढ़ क्षेत्र के बरगदिया घाट का है। जहां पर शकुंतला देवी पत्नी स्व0 सुखपाल सिंह कुछ जरूरी सामान खरीदने के लिए पड़ोस में ही स्थित परचून की दुकान पर गयी। महिला को कानों में कुन्डल पहने देखकर वहां पहले से शिकार की फिराक में बैठे दो ठगों ने महिला को उस समय रोक लिया जब वह परचून की दुकान से सामान खरीदकर वापस अपने घर जा रही थी।
महिला शकुंतलादेवी के अनुसार जैसे ही वह परचून की दुकान से सामान लेकर जैसे ही दुकान से हटीं तो दो आदमी तीस पैंतीस साल के पेंट शर्ट पहने तिलक लगाये हुए आकर उसे रोक लेते हैं। तिलकधारी ठगों ने महिला से कहा कि जो आप कुन्डल पहने हो यह उतारकर हमें दो और दो लौंग के जोड़े दो हम इन दो कुन्डल के चार कर देंगे। अब लालच बुरी बला, महिला ने लालच में आकर अपने कानों में पहने हुए सोने के कुन्डल उतारकर उन तिलकधारी ठगों के हाथ में थमा दिये। इतना ही नहीं महिला ने सोचा अब उसके पास ढाई सौ रुपये बचे हैं उनको भी क्यों न दूना कर लिया जाये, 500 हो जायेंगे। शकुंतला ने अपने पास मौजूद ढाई सौ रुपये भी पर्स सहित उन ठगों को दे दिये साथ में दो लौंग के जोड़े उन्हें उसी पर्स में रखकर दे दिये।
महिला के अनुसार तिलकधारी ठगों ने कहा कि अब वह उनकी तरफ पीठ करके बैठ जाये और तब तक उनकी तरफ न देखे जब तक वह कह न दें कि तुम्हारा माल दूना हो गया है। महिला तिलकधारियों की एक एक बात मानने को जैसे कसम खाये हुए थी। उसने उनके कहे के अनुसार पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन जब महिला को काफी देर तक जेबर दूने होने की आवाज ही नहीं दी गयी तो उसने पीछे मुड़कर देखा। पीछे जब तिलकधारी नहीं दिखायी दिये तो महिला के पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। फिर क्या था विधवा शकुंतला चीखती चिल्लाती हुई मोहल्ले के लोगों से पूछताछ करने लगी। लोगों ने खोजवीन की लेकिन तिलकधारियों का कहीं भी पता नहीं चला।
थक हार कर शकुंतला ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी। लेकिन वहां सूचना दर्ज करने के अलावा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी।