स्वच्छंद घूम रहे भ्रष्ट राजनेता को नहीं, पत्रकारों व चित्रकारों के विरुद्व राष्ट्रद्रोह क्यों ?

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फर्रुखाबाद: प्रसिद्ध कार्टूनिष्ट अश्वनी त्रिवेदी को राष्ट्रद्रोह के मामले में घसीटने से आक्रोषित वकीलों ने एडीएम कमलेश कुमार को ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया कि सार्वजनिक धन की लूट करने वाले राजनेता स्वच्छंद घूम रहे हैं और कानून की आड़ में बुद्धिजीवियों, पत्रकारों एवं व्यंग्य चित्रकारों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह के मुकदमें चलाये जा रहे हैं।

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एडीएम कमलेश कुमार को सौंपते हुए वकीलों ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की स्थापना के उपरांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 में नागरिकों को अभिव्यक्ति का अधिकार दिया गया था। जिसके अन्तर्गत भारत का प्रत्येक नागरिक अभिव्यक्ति के अधिकार का प्रयोग कर शासन के विरुद्व अपनी आवाज बुलंद कर सकता है। उन्होंने इस बात की निंदा की कि अनेक कानून जो ब्रिटिस काल में भारतीय नागरिकों के विरुद्व बने थे वे आज तक जैसे के तैसे चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून लोकतांत्रिक भारत में अपना मूल खो चुके हैं। उनको समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होने यह भी कहा कि ऐसे ही कानून द्वारा डा0 विनायक सेन तथा अनेक प्रबुद्ध पत्रकारों को राष्ट्रद्रोह के मामलों में निरुद्व किया जा चुका है। उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐसे दमनकारी कानूनों के विरोध में निर्णय लिया जा चुका है। आज ऐसे ही कानूनों की आड़ में बुद्धिजीवियों, पत्रकारों एवं व्यंग्य चित्रकारों के विरुद्व राष्ट्रद्रोह के मुकदमें चलाये जा रहे हैं। इसी क्रम में कार्टूनिष्ट असीम त्रिवेदी को राष्ट्रद्रोह में निरुद्व करना लोकतंत्र का अपमान हैं। वकीलों ने आरोप लगाया कि सार्वजनिक धन की लूट करने वाले अनेक नेता स्वच्छंद घूम रहे हैं उनके विरुद्व राष्ट्रद्रोह की कार्यवाही क्यों नहीं की जाती वल्कि उल्टा इनके विरुद्व आवाज उठाने वाले बुद्धिजीवियों का दमन कर मुहं बंद कर दिया जाता है।

उन्होंने मांग की कि दमनकारी कानून को तत्काल निरस्त कर भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी को सुनिश्चित किया जाये तथा राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किये गये कार्टूनिष्ट असीम त्रिवेदी को ससम्मान रिहा किया जाये।

इस दौरान एडवोकेट मनोज कुमार कटियार, जवाहर सिंह गंगवार, राकेश सिंह चौहान, बृृजेन्द्र मोहन अग्निहोत्री, अब्दुल हक मंसूरी, प्रदीपचन्द्र श्रीवास्तव, सुधांशु चतुर्वेदी, राकेश कुमार अग्निहोत्री, शिव प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र यादव के अलावा अन्य कई अधिवक्ता मौजूद रहे।