सूखी नहरों को प्रदूषण से बचाने के लिए हुई समीक्षा बैठक

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फर्रुखाबाद: जनपद में विकास कार्य जिस गति से होता है वह सिर्फ अधिकारी या सम्बंधित कर्मचारी ही जानता है। जिले में कितने ऐसे कार्य हैं जो सिर्फ कागजों में ही निबटा दिये जाते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। जिसके चलते लाखों रुपये का गोलमाल होने में कोई कोताही नहीं बरती जाती। जिसका सीधा सा उदाहरण विकास भवन में हुई सूखी नहरों के पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए की गयी समीक्षा बैठक है। बैठक में कुछ कर्मचारियों ने आपत्ति भी जतायी कि जब नहरों में पानी ही नहीं है तो प्रदूषित क्या होगा।

सीडीओ ईश्वरीय प्रसाद पाण्डेय की अध्यक्षता में दिल्ली से आये आईआरजी प्राइवेट लिमिटेड के जीएम के साथ की गयी। जिसमें नहरों पर पड़ने वाले सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरण के प्रभाव का अध्ययन किया गया। इस सम्बंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने बताया कि नहर की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए एक संगठन बनाया जायेगा। जिसका नाम वाटर यूजर एसोसिएशन होगा। इसके अन्तर्गत एक अध्यक्ष होगा, जोकि प्रति गांव चयनित किया जायेगा। जिसका चुनाव ग्रामीणों के मतदान से किया जायेगा। अध्यक्ष बनने के बाद सम्बंधित व्यक्ति नहर के सम्बंध में कटान, कितना पानी किस किसान को कब दिया जाये। उन्होंने बताया कि पहले नहरों में 100 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता था। इसका प्रस्ताव अब 1500 किया गया है। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो नहरों का आकार भी बढ़ाया जायेगा।

बैठक के दौरान सीडीओ व आईआर जी के जीएम के सामने सिंचाई अधिशासी अभियंता रतीराम वर्मा जब बैठक में मौजूद लोगों को सिंचाई विभाग से नहरों में पानी आने और न आने के सम्बंध में बता रहे थे तो उसी दौरान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी यूसी सचान ने कहा कि आज तक किसी नहर में पानी चलते देखा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि नहरों में आज तक पानी ही नहीं आया तो उनसे प्रदूषण कैसे फैल जायेगा। मुख्य समस्या तो पानी की है। उन्होंने कहा कि भारत के किसानों को अगर नहर से पानी उपलब्ध हो जाये तो कृषि सम्बंधित अन्य चीजों का वह खुद व्यवस्था कर लेगा।