हज का मतलब सैर सपाटा या खरीदारी नहीं, खुदा के घर की ज्य़ारत व इबादत है

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हज यात्रियों का चिकित्सीय परीक्षण कर लगाये मेनिंजाइटिस व पोलियो के टीके

फर्रुखाबाद: शहर के अंगूरी बाग स्थित ग्रीन पार्क में हज यात्रा के लिए 17 सितम्बर को जाने वाले हज यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर पोलियो की दवा व दिमागी बुखार से बचने के लिए मेनिंजाइटिस के टीके लगाये गये। वहीं कुछ हाजियों ने यात्रियों को अपना-अपना तजुर्बा भी बताया। इस दौरान 63 हज यात्रियों को टीकाकरण कर प्रशिक्षण दिया गया। वहीं 10 हज यात्री टीकाकरण के दौरान नहीं पहुंचे।

हाजी मौलाना मुफ्ती जफर काशमी ने हज यात्रियों को बताया कि अगर यात्रा के दौरान मक्का मदीना में कोई बीमार होता है तो वहां पर भारतीय दवा खाने बने हैं। जिनसे फ्री में दवाई प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने हज यात्रियों को यह भी बताया कि उन्हें उस सरजमीं पर जाने का मौका मिल रहा है जहां से इस्लाम धर्म की शुरूआत हुई थी। उन्होंने बताया कि हज यात्रा के दौरान तमाम परेशानियों का सामना होता है। ऐसे में कोई भी हाजी अपने संयम को न खोये और न किसी से झगड़ा करे और न ही अपने द्वारा किसी को किसी प्रकार की कोई परेशानी दे।

हाजी मुफ्ती मुअज्जम अली ने हाजियों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि हज सब्र का नाम है। अब हज यात्रा बहुत ही सरल हो गयी है। पहले लोग हज पैदल किया करते थे और तमाम परेशानियों का सामना करने के बावजूद भी किसी दूसरे हाजी से झगड़ा नहीं करते थे। यदि अब यात्रा के दौरान कोई हाजी जरा सी बात को लेकर झगड़ा कर बैठे या किसी अन्य व्यक्ति को अपनी तरफ से कोई परेशानी देता है तो बहुत ही शर्म की बात है। हज के दौरान रास्ते में बेहयाई या अश्लील बातें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जो हाजी मैदाने अल्फाज में दिल से दुआ करते हैं और तहब्बुम की नमाज अदा करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

हाजी अल्ताब हुसैन ने बताया कि वह दो बार हज पर जा चुके हैं, पहली बार वह सन 1998 और दूसरी बार सन 2000 में गये थे, तीसरी बार अब जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह जब सन 2000 में हज गये थे। फर्रुखाबाद से ट्रेन द्वारा दिल्ली तक गये, उसके बाद वहां से हवाईजहाज द्वारा जद्दा पहुंचे। वहां से मुहल्लिम नाम की टीम उन्हें मक्का शरीफ ले गयी। उन्होंने बताया कि जद्दा पहुंचने के बाद यात्रियों के खाना पीना तथा रहने का इंतजाम मुहल्लिम नाम की टीम ही करती है। मक्काशरीफ में 20-25 दिन रहने के बाद काबे के चक्कर लगाये। उन्होंने बताया कि 42 दिन में वह 8 दिन मदीना में रहे। वहां भी उनकी व्यवस्था मुअल्लिम नाम की टीम ने की। उन्होंने यह भी बताया कि हज करने का मतलब यह नहीं है कि वहां जाकर घूमना, न ही वहां जाकर खरीदारी करना। वहां पर सिर्फ बची हुई जिंदगी के अच्छी गुजरने के लिए दुआ करना है।

पहली बार हज यात्रा पर जा रहे जियाउद्दीन निवासी कमालगंज ने बताया कि वह हज यात्रा पर पहली बार जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हज के बारे में जानकारी देने के लिए कमेटी हज गाइड नाम की किताब दे रही है। जिसमें भारत से लेकर मक्का मदीना तक का सभी रवैया लिखा होता है। उन्होंने यह बताया कि वह हज जाकर अपने मुल्क और अपने करीब के लोग नाते रिश्तेदारों के लिए दुआ करेंगे।

ग्रीनपार्क में एकत्रित हुई कमेटी में शमशाबाद के मुफ्ती जफर, डा0 मोहसिन ने भी हज यात्रियों को प्रशिक्षण दिया। जिला हज कमेटी सचिव मोहम्मद आमिर अंसारी, हाजी इदरीश चौधरी, हाजी शकूर अहमद बेकरी वालों ने व्यवस्था देखी।