फर्रुखाबाद: राधाश्याम शक्ति मंदिर में चल रहे सत्संग कार्यक्रम में प्रवचन करते डा0 सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी ने कहा कि मनुष्य संसार में धन, पत्नी व पुत्रों के लिए रोता है। इसका कारण यह है कि उसे भगवान का संयोग प्राप्त नहीं हुआ। इसीलिए उसे भगवान के वियोग का अनुभव नहीं होता। उन्होंने भगवान कृष्ण के विभिन्न चरित्रों का वर्णन किया।
श्री सुरेन्द्र ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के वियोग में गोपियां रुदन करने लगीं। गोपियों ने भगवान के वियोग में रोते हुए जो गीत गाया उसे ही गोपी गीत कहते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य संसार में धन, पत्नी, पुत्र इत्यादि के लिए रोता है। इसका कारण यह है कि उसे भगवान का संयोग प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए उसे भगवान के वियोग का अनुभव नहीं होता है। गोपियों ने भगवान का वंशी वादन सुना। उनके साथ रास किया और श्रीकृष्ण ने उन्हें अतिशय आनंद दिया। इसी कारण अब वे भगवान के बिना जीवित नहीं रह सकतीं। भगवान ने गोपियों के प्रेम को संसार में प्रकट करने के लिए उन्हें वियोग का दान किया और वहीं दूसरी तरफ भगवान श्री राम जी ने भैया भरत का प्रेम प्रकट करने के लिए 14 वर्ष का वियोग दिया। जिसमें अपने सुख की कामना होती है उसे स्वार्थ कहते हैं और जिसमें प्रियतम के सुख की कामना होती है उसे प्रेम कहते हैं।
गोपियों का श्रंगार, उनका प्रेम और उनके प्राण सब कुछ श्रीकृष्ण के लिए हैं। मथुरा वृंदावन से कोई दूर नहीं है। पर गोपियां श्रीकृष्ण के पास मथुरा नहीं जातीं। क्योंकि उनके मन में यही भाव हैं। भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में सुख से हैं, तो हम भी उनके सुख से सुखी हैं, यह भावना गोपियों के अंदर थी। श्री सुरेन्द्र ने कहा कि सच्चे प्रेम में अपने सुख की भावना होती ही नहीं है। गोपियां भगवत प्रेम की साक्षात विग्रह हैं। उन्हें देखकर लगता है कि मानो कृष्ण प्रेम में ही साक्षात रूप धारण कर लिया हो। ऐसी कई मनोरम कथाओं का चित्रण आचार्य ने किया। आगे कथा जारी…….
इस दौरान रामचन्द्र जालान, कृष्ण गोपाल, रामकृष्ण सिगतिया, रामधारी अग्रवाल, प्रवीन सफ्फड़, गौरव अग्रवाल, अनुराग अग्रवाल, जितेन्द्र अग्रवाल आदि लोग मौजूद रहे।