फर्रुखाबाद: राधा श्याम शक्ति मंदिर में चल रहे सत्संग में बोलते हुए आचार्य सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी ने कहा कि व्यक्ति अगर सच्चे मन से परमात्मा के बनाये हुए इस संसार के सौंदर्य को निहारता है तो उसे परमात्मा के दर्शन उसी सौंदर्य में ही हो जाते हैं। इस दौरान उन्होंने भगवान कृष्ण की रासलीला का उनके वियोग में तड़पतीं गोपियों की कथा का बहुत ही सरल शब्दों में वर्णन किया।
आचार्य सुरेन्द्र ने कहा कि रासलीला में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को अतिशय प्रेम और आनंद का दान किया तो गोपियों में अहंकार आ गया कि संसार में हमसे अधिक भाग्यशाली कोई नहीं, तभी तो भगवान हमारे साथ रास कर रहे हैं। रास में भगवत चिंतन करते-करते गोपियां जब अपने सौभाग्य पर विचार करनें लगीं तो यह चिंतन सात्विक था पर भगवान श्रीकृष्ण को यह भी अच्छा नहीं लगा। अब वह गोपियों को दिव्य चिन्मय धरातल पर ले जाना चाहते हैं। सो अपने वियोग की अग्नि में उनके अंतःकरण को तपाने के विचार से अर्न्तध्यान हो गयीं।
भगवान के अर्न्तध्यान होने के बाद गोपियां रुदन करने के साथ-साथ वन वृक्षों व लताओं से भगवान का पता पूछने लगीं। एक गोपी ने वन की कुसुमित लताओं के रंग बिरंगे पुष्पों को देखकर कहा कि हमारे प्रीतम श्रीकृष्ण ने इसका स्पर्श न किया होता तो इसमें इतने सुंदर फूल नहीं होते। उस दौरान गोपियों को संसार में बिखरे हुए सौंदर्य में परमात्मा का दर्शन होता है। संयोग काल में तो एक ही श्रीकृष्ण थे और वियोग हुआ तो उन्हें सर्वत्र परमात्मा आशुतोष भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन हो रहे थे। योगी को समाधि की अवस्था में आंख बंद करने पर भगवान का दर्शन होता है और आंख खोलने पर संसार दिखता है। इस तरह से आचार्य ने विभिन्न प्रकार से श्रोताओं को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन कर भक्ति रस से ओत प्रोत कर दिया।
सत्संग कार्यक्रम के दौरान रामचन्द्र जालान, किशन गोपाल जालान, सुरेन्द्र सफ्फड़, प्रवीन सफ्फड़, गौरव अग्रवाल, जितेन्द्र अग्रवाल आदि ने उपस्थिति दर्ज करायी।