बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने बांग्ला साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सुनील गंगोपाध्याय पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। इससे साहित्यिक बिरादरी सकते में है। मामले में सुनील गंगोपाध्याय का कहना है कि वह ऐसे आरोपों की परवाह नहीं करते।
दरअसल, आइपीएस अधिकारी नजरूल इस्लाम की मुसलमानों पर केंद्रित पुस्तक पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की खबर से व्यथित तस्लीमा नसरीन लोगों से इसका विरोध करने की अपील कर रही थीं। एक सितंबर की शाम उन्होंने पहला ट्वीट किया। तस्लीमा ने लिखा कि सुनील गंगोपाध्याय अभी किताब प्रतिबंध के खिलाफ बोल रहे हैं। दरअसल, इन्हीं लोगों ने मेरी किताब द्विखंडितो पर प्रतिबंध लगवाया था। किसी बंगाली में इतनी हिम्मत नहीं कि वह सुनील गंगोपाध्याय जैसे लोगों के चेहरे का नकाब हटाए।
बकौल तस्लीमा, गंगोपाध्याय औरतों के साथ गलत व्यवहार करते हैं। सोमवार सुबह तस्लीमा के एक और ट्वीट से साहित्यिक भूचाल की स्थिति पैदा हो गई। उन्होंने ट्वीट किया कि सुनील गंगोपाध्याय किताबों पर प्रतिबंध लगवाने के लिए ही हैं। उन्होंने मेरी और दूसरी कई औरतों की यौन प्रताड़ना की है। वह साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं। यह शर्म की बात है। शुभंकर मुखोपाध्याय के एक सवाल पर तस्लीमा ने ट्वीट किया कि सुनील ने उन्हें 1999 में प्रताड़ित किया था।
इस बावत पूछे जाने पर सुनील गंगोपाध्याय ने कहा कि वह ऐसे आरोप की परवाह नहीं करते। सिर्फ आरोप लगा देने से बात प्रमाणित नहीं हो जाती। अगर ऐसा था, तो तस्लीमा अबतक चुप क्यों रहीं? मैं खुद ट्विटर पर नहीं हूं और वहां क्या लिखा जा रहा है, इससे मुझे कोई मतलब नहीं।