फर्रुखाबाद: राधा श्याम शक्ति मंदिर में चल रहे सत्संग कार्यक्रम में श्रीकृष्ण कथा का श्रवण कराते हुए कथा वाचक आचार्य सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी ने कहा कि भगवान को वही जीव पा सकता है जिसके अंदर अभिमान नहीं। अभिमान के रहते कोई भी जीव परमपिता परमात्मा को नहीं पा सकता। उन्होंने गोपियों और भगवान श्रीकृष्ण के बीच चली रासलीला का बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया।
आचार्य श्री द्विवेदी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की। यह रासलीला तकरीबन 6 माह तक चली और इस अवधि में गोपियों का स्थूल शरीर तो उनके पति के पास था। भगवान ने गोपियों के साथ रास करने के लिए उन्हें दिव्य अति दिव्य चिन्मय शरीर प्रदान किया। इस लीला में गोपियों के स्थूल शरीर का कोई प्रयोजन नहीं है। भगवान के गोपियों के साथ रासलीला करने के दौरान गोपियों को अभिमान हो गया कि वह संसार में सर्वश्रेष्ठ हैं तभी भगवान श्रीकृष्ण अन्य जीवात्माओं को छोड़कर उनके साथ रास कर रहे हैं। यद्यपि उन्होंने कहा कि गोपियों को आने वाला अभिमान सात्विक अभिमान था। फिर भी जब तक किसी भी प्रकार का अभिमान जीव में शेष रहता है तब तक वह भगवान को नहीं पा पाता। इसलिए भगवान तत्काल अन्तरध्यान हो गये। भगवान के अन्तरध्यान होते ही उनके वियोग में गोपियां रुदन करने लगीं और वह वन की लताओं व वृक्षों से भगवान का पता पूछने लगीं। उन्होंने कहा कि जब तक भगवान का दर्शन नहीं होता उनसे बात नहीं होती तब तक वियोग का दुख भी नहीं सताता, सांसरिक जीवों की भी यही स्थिति है। जब तक भगवान का सहयोग नहीं, वियोग कैसा।
श्री द्विवेदी ने भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का विभिन्न तरीके से वर्णन कर बड़े ही स्पष्ट शब्दों में रसपान कराया। इस दौरान भगवान के दरबार में सेवक के रूप में रामचन्द्र जालान, रामचन्द्र सिगतिया, अश्वनी गुप्ता, सावरमल अग्रवाल, प्रवीन सफ्फड़, गौरव अग्रवाल आदि लोग मौजूद रहे।