घोटाले के समय प्रधानमंत्री को पास था मंत्रालय
रिलायंस कंपनी को 29 हजार करोड़ का फायदा
यूपीए सरकार घोटालों के मामले में एक बार फिर कटघड़े में खड़ी होती नजर आ रही है। अभी तक 2-जी स्कैम को देश का सबसे बड़ा घोटाला कहा जाता था, लेकिन अब कोयला खदानों की बंदरबाट का महाघोटाला खुलकर सामने आया है।
कोयला, पावर और एविएशन पर कॉम्प्ट्रोलर एंउ ऑटीटर जनरल (सीएजी) की रिपोर्ट शुक्रवार को राज्यसभा में पेश की गई। कोयला ब्लॉक आवंटन में हुई धाधली में 1.86 लाख करोड़ का घोटाला होने का आरोप है। इस घोटाले में अनिल अंबानी को 29 हजार करोड़ का फायदा पहुंचाने की बात कही जा रही है।
शुक्रवार को कैग की रिपोर्ट पर संसद में जमकर हंगामा हुआ। सरकार ने सन 2004-09 के बीच लगभग 100 कंपनियों को 155 कोयला खदानों का आवंटन किया था। कैग की इस रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत पूरी सरकार को मुसिबत में डाल दिया है। जिस वक्त यह घोटाला हुआ कोयला मंत्रालय मनमोहन सिहं के पास था।
कैग की फाइनल रिपोर्ट में घोटाले का आंकड़ा 1.8 लाख करोड़ बताया जा रहा है। इसमें कई कंपनियों के नाम भी आए है, जिसको सरकार ने विशेष रूप से लाभ पहुंचाया था। ऐसा बताया जा रहा है कि टाटा, जिंदल ग्रुप और रिलायंस पावर सहित कई कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट (यूएमपीपी) के बारे में सीएजी ड्राफ्ट में कहा गया है कि अनिल अंबानी की रिलायंस पावर को 29033 करोड़ का फायदा पहुंचाया गया है।
डायल के बारे में इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डायल के सिर्फ 2450 करोड़ रूपये के निवेश पर उसको 24 हजार करोड़ रूपए की जमीन देकर, लगभग 1.5 लाख करोड़ रूपया कमाने का मौका दिया गया। जीएमआर की अगुवाई वाली कंपनी डायल को 3,415 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा पहुंचाने के लिए निविदा संबंधी शर्तों की अनदेखी की गयी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने इस मामले में जिम्मेदारी तय करने पर जोर दिया है।