सात माह से नहीं मिला मानदेय, बंद होने के कगार पर रसोइयों के घर की रसोई

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फर्रुखाबाद: जनपद के सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत चल रहे मध्यान्ह भोजन योजना का हाल दिन पर दिन खस्ता होता चला जा रहा है। कहीं बच्चों के खाने में कीड़े निकलते हैं तो कहीं भोजन घटिया क्वालिटी का होेने को लेकर आये दिन विद्यालयों में हंगामे होना आम बात हो गयी थी। लेकिन अब उससे भी ज्यादा हालत खराब हो रही है। मध्यान्ह भोजन को बनाने के लिए विद्यालयों में रखे गये रसोइयों को तकरीबन सात माह से एक फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। जिससे रसोइयों के घर का रसोई बंद होने की कगार पर आ गया।

सर्व शिक्षा अभियान की दुर्दशा प्रशासन से छिपी नहीं है इसके बावजूद भी सम्बंधित अधिकारी शासन को सर्वशिक्षा अभियान की सफलता की गाथा लिख लिख कर भेजते रहते हैं। जनपद में न जाने ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में कितने विद्यालय हैं जिनमें महीनों से मध्यान्ह भोजन नहीं बना और अगर बना भी है तो सिर्फ कागजों में। या तो यह विद्यालय प्रशासनिक पकड़ से महरूम हैं और या प्रशासन इन्हें पकड़ना नहीं चाहता।

जिले में मध्यान्ह भोजन को लेकर प्रधान व प्रधानाध्यापक का विवाद भी लगभग हर विद्यालय में पैसे को लेकर अब तूल पकड़ रहा है और कहीं-कहीं तो मिड डे मील के लिए पैसा खर्च करने पर प्रधान और प्रधानाध्यापक में जूतमपैजार भी हो चुकी है। प्रशासन ने इस विवाद को निबटाते हुए प्रधान से मध्यान्ह भोजन के पैसे को खर्च करने का अधिकार लेने जा रहा है। अब मध्यान्ह भोजन गांव में बनायी गयी 14 सदस्यीय टीम की देखरेख में बनेगा। जिस पर शासन शीघ्र अपनी मोहर लगाने जा रहा है।

वहीं स्थिति बद से बदतर मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों की है जिनको सात माह से मानदेय नहीं मिला। जिससे रसोइयों के परिवार में भुखमरी की नौबत आने वाली है। कई रसोइये जो पूरी तरह से विद्यालय के मध्यान्ह भोजन के मानदेय पर ही निर्भर हैं। उन्हें इस समय दिन में तारे नजर आ रहे हैं।

इस सम्बंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत प्रसाद पटेल ने बताया कि सभी रसोइयों का मानदेय शासन से उपलब्ध हो गया है। दो दिन पूर्व ही सभी विद्यालयों को रसोइयों का मानदेय खातों में भेज दिया गया है। जो शीघ्र ही रसोइयों को उपलब्ध हो जायेगा।