अन्ना का अनशन टूटने के पीछे बड़ा खेल

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अन्ना ने अनशन खत्म करने का फैसला इतना अचानक क्यों किया? अचानक क्यों उन्हें लगने लगा कि अनशन करने से समय की बरबादी हो रही है? इससे पहले उन्हें जो भी सफलता मिली है, वह अनशन के जरिए ही मिली है और राजनीतिक अभियानों में लगभग हर बार उनकी टीम पिटी है। खुद अन्ना के गृह जिले में उनके समर्थन वाले उम्मीदवार हार चुके हैं।

इस समय सबसे बड़ा यह सवाल है कि अन्ना ने अचानक अनशन खत्म करने का फैसला क्यों किया? स्वयं अन्ना की टीम के कई सदस्यों तक को इसकी भनक भी नहीं थी। गुरूवार दोपहर बाद तक टीम अन्ना के सदस्य कहते रहे थे कि किसी हाल में न अनशन खत्म होगा और न अनशन कर रहे लोगों को अस्पताल भेजा जाएगा। प्रशांत भूषण ने तो यहां तक कहा कि अगले दो दिन बहुत अहम हैं। टीम अन्ना को भरोसा था कि सप्ताहांत में भारी भीड़ जुटेगी और मजबूर होकर सरकार को घुटने टेकने पड़ेंगे। वैसे भी जैसे-जैसे अनशन आगे बढ़ रहा था, जन समर्थन भी बढ़ रहा था।
आखिर अन्ना ने अनशन खत्म करने का फैसला क्यों किया? क्यों उन्हें अचानक लगने लगा कि अनशन करने से समय की बरबादी हो रही है? जबकि इससे पहले उन्हें जो भी सफलता मिली है, वह अनशन के जरिए ही मिली है और राजनीतिक अभियानों में लगभग हर बार उनकी टीम पिटी है। पिछले दिनों खुद अन्ना के गृह जिले में उनके समर्थन वाले उम्मीदवार हार गए थे।
देश के 23 गणमान्य लोगों की अपील सिर्फ एक बहाना है। ऐसी अपीलें पहले भी होती रही हैं, लेकिन तब अन्ना अपना अनशन नहीं खत्म करते थे। सवाल है क्या सरकार के किसी दबाव में यह फैसला हुआ? इसकी संभावना भी कम है। अगर सरकार जबरदस्ती करती, अनशन की इजाजत रद्द करके अन्ना और उनकी टीम को जंतर-मंतर से उठाती तो आंदोलन और भड़कता। अन्ना कोई बाबा रामदेव नहीं हैं, जो अनशन छोड़ कर भाग जाते। इसलिए किसी बड़ी साजिश या किसी बड़े प्रबंधन की बात उठी है। खुद अन्ना की टीम के दो सदस्यों ने इस फैसले पर हैरानी जताई है। उन्हें लग रहा है कि परदे के पीछे कोई बड़ा खेल हुआ है, जिसका अंदाजा किसी को नहीं है।