ताबूत में बेसिक शिक्षा: खस्ताहाल भवन, टीन व मोमिया के नीचे उबल रहा नौनिहालों का बचपन

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फर्रुखाबाद: सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत लगाया गया नारा सब पढ़ें सब बढ़े को विभाग ने ही घुन लगा दी। घूस व कमीशन के चक्कर में जो नये स्कूल बनाये गये उन्हें भवन प्रभारियों ने साहब व अपनी जेब गरम करने के लिए घटिया व अमानक निर्माण सामग्री लगाकर सस्ते में निबटा दिया। कहीं तो आलम यह है कि स्कूलों में नौनिहालों को पढ़ने के लिए एक मात्र छत तक नसीब नहीं हो रही है। वहीं दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा में बाबू व अधिकारी मजे से अपनी ऐशगाह में आराम फरमा रहे हैं व कागजी घोड़े दौड़ा-दौड़ाकर शासन को सर्व शिक्षा अभियान की जय-जयकार लिखकर भेज देते हैं। वहीं कटु सच्चाई यह है कि कि मासूम पन्नी व टीन के नीचे टूटे फूटे ब्लैकबोर्ड पर पढ़ने को मजबूर हैं जहां उनका बचपन कड़ी धूप में उबल रहा है।

हाईटेक हो चुकी शिक्षा पद्धति प्राइवेट विद्यालयों में जहां महंगी दरों पर उपलब्ध है वहीं केन्द्र सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत देश के नौनिहालों को प्राथमिक शिक्षा में ही अच्छी से अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ड्रेस, मध्यान्ह भोजन, किताबें इत्यादि मुफ्त कर दी। लेकिन इसके बावजूद भी बेसिक शिक्षा के स्कूलों की हालत में कोई सुधार आता नहीं दिख रहा है। फतेहगढ़ क्षेत्र के हाथीखाना में प्राथमिक विद्यालय की हालत जो है वह बाकई में चौंकाने वाली है। जहां एक छोटे से किराये के कमरे में पूरा प्राइमरी स्कूल चलाया जा रहा है। जहां पर नौनिहाल पन्नी के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। सामने दीवार पर एक टूटा सा ब्लैकबोर्ड बना दिया गया है। किराये के लिए गये एक कमरे में ही गैस सिलेण्डर व मध्यान्ह भोजन का अन्य सामान भी रखा हैं। एक तरफ एक छोटी सी मेज पर प्रधानाचार्य के कुछ रजिस्टर रखे हुए हैं। अब देखने वाली बात है कि जहां बेसिक शिक्षा पर करोड़ों रुपये केन्द्र व राज्य सरकार पानी की तरह बहा रही है वही इन नौनिहालों को छत तक नसीब नहीं हो रही है।

स्कूल के अध्यापकों की मानें तो क्षेत्रीय लोग बहुत ही मिन्नतें करने पर ही अपने बच्चे का दाखिला इस विद्यालय में करवा रहे हैं। क्योंकि धूप व बरसात में बैठकर बच्चों को पढ़ता कोई भी अभिभावक नहीं देख सकता।

शहर क्षेत्र के मोहल्ला तलैया फजल इमाम के प्राइमरी विद्यालय की दशा भी किसी से छिपी नहीं है। टूटा फूटा गेट, टपकता हुआ टीनशेड, हर क्षण बच्चों के जान का दुश्मन बना हुआ है। पानी बरसने के दौरान बच्चों के साथ-साथ उनकी कापी किताबें इत्यादि तो भीगती ही हैं इस बरसात में कई बच्चे बीमार भी हो गये हैं। कई दशक पहले का बना यह विद्यालय भवन मात्र एक छोटे से कमरे व दो टीनशेडों में सिमट गया है।

अब आइये आपको बताते हैं घूसखोरी और कमीशनखोरी के नतीजे में बेसिक शिक्षा के नये बने विद्यालयों का हाल- प्राथमिक विद्यालय व पूर्व माध्यमिक विद्यालय दीन दयाल बाग, जूनियर हाई स्कूल बाग लकूला के स्कूलों की नई बनीं इमारतें कुछ वर्षों में ही दरारें दे गयीं और बरसात का पानी पूरे कमरों में टपकने लगा। जो रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है। आये दिन हो रहीं भवन गिरने की घटनाओं के बाद भी प्रशासन इस तरफ बिलकुल भी मुड़ कर नहीं देख रहा है और बेसिक शिक्षा अधिकारी भी कान पर पत्थर रखकर बैठे हैं। कर्मचारी मजे लूट रहे हैं। अधिकारी आराम कर रहे हैं।

देखने वाली बात यह है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी व अन्य शिक्षकों के बच्चों को यदि इन्हीं टीनशेड व पन्नी के नीचे पढ़ने को कहा जाये तो क्या उनके बच्चे इनके नीचे बैठकर शिक्षा लेने को तैयार होंगे। यदि तैयार भी हो जाये ंतो उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा यह वह बखूबी जानते भी हैं। यही कारण है कि किसी भी शिक्षक या शिक्षा विभाग के अधिकारी का बच्चा प्राइमरी स्कूल में नहीं पढ़ रहा होगा।

बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत प्रसाद पटेल ने बताया कि हाथी खाना व तलैया फजल इमाम के स्कूलों के लिए कोई पैसा अभी स्वीकृत नहीं हो रहा है। उनको शीघ्र ही दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जायेगा और प्राइमरी विद्यालय दीनदयाल बाग के अलावा अन्य जो भी स्कूल नये बने होने के बाद चटक गये हैं उनकी जांच करायी जा रही है। जांच पूरी होने पर दोषी पाये गये कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।