स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने रविवार को विगत दस वर्षो से कर्मचारी चयन आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थी बिठाकर उत्तीर्ण कराने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का राजफाश किया। यह गिरोह प्रत्येक अभ्यर्थी से आवेदित पद के अनुरूप तीन लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक की वसूली करता था। लखनऊ और गाजियाबाद में छापेमारी कर एसटीएफ टीम ने सरगना समेत 14 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से लैपटाप, परीक्षा संबंधी अभिलेख, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक डिवाइस बरामद हुई है। रविवार को लखनऊ के अमीनाबाद इंटर कॉलेज में एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) की परीक्षा के दौरान पकड़े गए नकलचियों ने कुछ ऐसे बंदोबस्त किए थे, जिन्हें देखकर अध्यापक व छात्र ही नहीं बल्कि पुलिस भी हैरान थी।
-प्रतियोगी परीक्षा में बैठे फर्जी अभ्यर्थी
-पद के हिसाब से 25 लाख तक वसूली
– जूते के सोल में छुपाए गए थे मोबाइल फोन
एसटीएफ आइजी आशीष गुप्ता ने बताया कि गिरोह का सरगना बागपत जिले के शेरपुर का निवासी अनिल सिंह है, जिसे गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। उसके तंत्र में सक्रिय मेरठ के रोहटा निवासी सचिन्द्र कुमार, शामली के दयानंदनगर के रणबीर सिंह, गौतमबुद्धनगर के मकौड़ा निवासी विजय कुमार, बागपत के भौजान दोघट निवासी सोनू वर्मा और बागपत के ही शेरपुर निवासी प्रवीन कुमार को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया है। लखनऊ में अमीनाबाद इंटर कालेज से वास्तविक अभ्यर्थियों के स्थान पर परीक्षा दे रहे आठ लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें बागपत के छपरौली का दीपक आर्य, दिल्ली के भजनपुरा निवासी सोनू कुमार उर्फ अमित नेहरा और रमन कुमार, बागपत के बालैनी निवासी इंसार, गाजियाबाद के लोनी निवासी उदयवीर, राजस्थान के शाहाबाद निवासी राजेश कुमार, गाजियाबाद के गोविन्दपुरम निवासी प्रशांत पाराशर और बागपत छपरौली निवासी विकेन्द्र सिंह शामिल है।
आइजी गुप्ता ने बताया कि एसटीएफ को अभिसूचना संकलन के दौरान यह पता चला कि प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के स्थान पर दूसरे लोगों को बिठाकर धंधा करने वाला गिरोह गाजियाबाद से संचालित हो रहा है। 29 जुलाई को कर्मचारी चयन आयोग इलाहाबाद द्वारा संचालिक आशुलिपिक श्रेणी ग और घ पद हेतु परीक्षा में लखनऊ व बरेली में अभ्यर्थियों के स्थान पर दूसरे व्यक्ति परीक्षा देने हेतु बैठाये जा रहे हैं। इस पर एसटीएफ के एसएसपी सत्येन्द्र वीर सिंह ने एक टीम का गठन किया। टीम ने पता लगाया कि लखनऊ और बरेली में परीक्षा केंद्रों पर फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। एक टीम बरेली गई लेकिन वहां किन्हीं कारणों से परीक्षा रद कर दी गई।
ब्लू टुथ से हल कराते थे पर्चा
लखनऊ में गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि उनके गिरोह का सरगना अनिल सिंह है। वह मेधावी बेरोजगारों को गिरोह से जोड़े हैं। प्रश्नपत्र में मुख्यत: तीन खंड होते हैं। प्रत्येक खंड के जानकार लड़कों को एक साथ रोल नंबर आवंटित कराकर बैठाने की व्यवस्था की जाती है। प्रश्नपत्र मिलने के पश्चात अपने खंड के जानकार फर्जी अभ्यर्थी द्वारा ब्लू टूथ डिवाइस से दूर बैठे कनेक्टेड व्यक्ति को कोड में उत्तर का विकल्प बता दिया जाता है, जहां से पूरे प्रश्न पत्र के उत्तर का एसएमएस बनाकर परीक्षा में बैठे अन्य अभ्यर्थियों को भेज दिया जाता है। अभ्यर्थी मोबाइल अंडरगारमेंट में छिपाकर ले जाता है और कक्ष निरीक्षक की नजर बचाकर एसएमएस खोलकर उत्तर पुस्तिका पूरी कर लेता है।
फोटो चिपकाने में भी खेल
वास्तविक अभ्यर्थी तथा परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थी दोनों से मिलता जुलता फोटो बनाकर फार्म व प्रवेश पत्र पर चस्पा किया जाता है। फोटो धुंधला रखा जाता है, जिससे मिलान के समय पकड़ में न आए। परीक्षा के समय कक्ष निरीक्षक द्वारा फोटो मिलान करते समय कोई न कोई ऐसी हरकत की जाती है कि उनका ध्यान बंट जाए। लखनऊ में वास्तविक अभ्यर्थी धर्मेन्द्र कुमार की जगह दीपक आर्या, राजीव कटारिया की जगह सोनू कुमार, अमित कुमार की जगह रमन कुमार, विजय कुमार की जगह इंसार, विकास कुमार की जगह उदयवीर, अरुण कुमार की जगह राजेश कुमार, कपिल राना की जगह प्रशांत और विनीत की जगह परीक्षा दे रहे विकेन्द्र सिंह ने पूछताछ में इसका रहस्योद्घाटन किया। इनकी गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद से सरगना और सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया।
आयोग लिपिकों की मिलीभगत
जांच में सामने आया कि परीक्षा फार्म अंतिम तिथि के पश्चात जमा किए जाते हैं। इसके लिए कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय में संबंधित लिपिक से सम्पर्क कर अनिल सिंह यह व्यवस्था कराता है। इसी कारण इन अभ्यर्थियों के रोल नंबर क्रम में आवंटित होते हैं और सभी एक साथ बैठते हैं। इन लिपिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ सक्रिय हो गई है। इस धंधे से अनिल ने कई शहरों में सम्पत्ति बना ली है। छापे बनारस, इलाहाबाद, देहरादून, मेरठ और बागपत में भी मारे गए। गाजियाबाद के राजेंद्र नगर से रविवार दोपहर ढाई बजे एसटीएफ ने छापेमारी कर चार लोगों को गिरफ्तार किया। इनके घर से पाच लाख रुपए नकद, एक लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन, सौ से अधिक सिमकार्ड और तीन बैगों में नकल व परीक्षा से जुड़े कागजात बरामद किए। यह घर से ही पूरे उत्तर भारत में नकल नेटवर्क चल रहे थे। टीम ने छापे से पूर्व संदिग्ध मकान की घेराबंदी की। पुलिस देख नकल कराने के आरोपियों ने छत से कूदने की कोशिश की, लेकिन प्रवीन व अनिल दबोच लिए गए। आसपास के लोगों का कहना है कि यह लोग एक साल से यहां रह रहे थे। अनिल पर मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाने में जालसाली का मुकदमा दर्ज है।
कान के भीतर लगायी थी कंप्यूटर चिप
एसएससी की परीक्षा के दौरान एसटीएफ ने अमीनाबाद इंटर कॉलेज से आठ युवकों को पकड़ा। नकलचियों की बनियान में एक सर्किट लगा था, जिसका संपर्क उनके कान के भीतर लगाई गई कंप्यूटर चिप से था। इस चिप में माइक्रोफोन फिट था। वहीं बनियान में लगे सर्किट से बेहद बारीक तार से ब्लूटूथ को जोड़ा गया था। यही वजह है कि परीक्षा कक्ष में जाने से पूर्व कॉलेज प्रशासन की ओर से ली गई तलाशी के दौरान किसी को भनक तक नहीं लगी कि इन छात्रों में हाईटेक नकलची भी शामिल हैं। मौलवीगंज चौकी प्रभारी सुभाष सिंह ने बताया कि एक मुन्नाभाई ने अपने चश्मे में माइक्रोफोन व कंप्यूटर चिप लगा रखी थी जबकि जूते के सोल को काटकर उसके भीतर मोबाइल फोन को छुपाया गया था। परीक्षा शुरू होने के बाद यह नकलची फोन के जरिए उत्तर सुनकर अपनी कापियां भरने में जुटे थे। एक अध्यापक ने बताया कि जब एसटीएफ की टीम ने नकलचियों को पकड़ा तो छोटी चिमटी के जरिए उनके कानों से कंप्यूटर चिप निकाली गई। वहीं अध्यापक व अन्य छात्र नकल के इस तरीके को देखकर दंग थे। एक अध्यापक ने कहा कि ऐसी स्थिति में भला नकलचियों पर कैसे नजर रखी जा सकती है। साथ ही यह सवाल भी उठाया कि इस गिरोह के तार परीक्षा संचालित कराने वालों से जरूर जुड़े होंगे। आशंका यह भी जताई गई कि प्रश्न पत्र भी गिरोह के पास पहले से रहा होगा, जिसके उत्तर वे नकलचियों को फोन के जरिए नोट करा रहे थे।