बाढ़ में कट चुके गैर आबाद गांवों को दिखा दिया लोहिया ग्राम

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कमालगंज(फर्रुखाबाद): लोहिया ग्राम विकास योजना में शुरू से ही अधिकारी भ्रष्टाचार के लिए मंच तैयार करने में जुट गये हैं। अभी योजना की नींव ही रखी जा रही थी कि अधिकारियों ने नींव में ही खोखली ईंटे लगानी शुरू कर दीं। अब शासन चाहे समाजवादी पार्टी का हो या फिर बसपा का रहा हो भ्रष्ट अधिकारियों पर इसका कोई असर पड़ने वाला नहीं है। योजना भी चाहे बसपा सरकार की काशीराम योजना हो या फिर सपा की लोहिया ग्राम विकास योजना अधिकारी शुरू से ही कुछ न कुछ योजना के अन्तर्गत छेद छोड़ देना चाहते हैं। जिससे आगे आने वाले समय में योजना में आने वाले धन का बंदरबांट किया जा सका। ऐसा ही हाल विकासखण्ड कमालगंज के ग्राम खैमरैंगाई कटरी व भोजपुर कटरी का है। इन गैर आवाद ग्रामों को लोहिया ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत चयनित कर सेक्रेटरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी व बीडीओ की मिलीभगत से अंतिम रूप दे दिया गया। लेकिन अंतिम रूप से जांच करने पहुंचे सीडीओ दोनो गैर आबाद गांवो को गंगा की धारा में निहारते रह गये।

जानकारी के अनुसार विकासखण्ड कमालगंज के अन्तर्गत कुल 6 ग्रामों को लोहिया ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत चयनित करने के लिए कहा गया था। जिनमें से जगन्नाथपुर, कदुआपुर, मुरादपुर, बरुआखेड़ा, खैमरैंगाई कटरी व भोजपुर कटरी का चयन लोहिया ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत कर लिया गया। सभी गांवों का प्राथमिक रूप से सत्यापन कर जिला प्रशासन को भेज दिया गया। 17 जुलाई को सभी गांवों की रिपोर्ट शासन को जानी थी। जिससे आज मंगलवार को अंतिम रूप से जांच करने के लिए मुख्य विकास अधिकारी ईश्वरीय प्रसाद पाण्डेय, डीडीओ ए के चन्द्रौल, खण्ड विकास अधिकारी देवेन्द्र सिंह ग्रामों में पहुंचे।

जहां पर सीडीओ को पता चला कि खैम रैंगाई कटरी व भोजपुर कटरी ग्राम जिनका लोहिया ग्राम विकास योजना के अन्तर्गत चयन किया गया है वह कई वर्षों से गैर आबाद हो चुके हैं। जिनके वासिंदे अब कहीं और जाकर बस गये हैं। गांवों का कोई नामो निशान नहीं बचा है। दोनों गांवों की जगह अब विशाल गंगा की धारा बह रही है। जिसे देखकर सीडीओ सन्न रह गये। उन्होंने तत्काल पीडी को फोन कर शासन को जा रही सूची को रुकवा दिया।

विदित हो कि लोहिया ग्राम विकास योजना में चयनित किये गये गैर आबाद ग्राम खैम रैंगाई व भोजपुर कटरी को ग्राम विकास अधिकारी प्रभात यादव व जिला कार्यक्रम अधिकारी ने प्रथम रूप से जांच कर जिला प्रशासन को भेजा है। क्या ग्राम सेक्रेटरी को इतना भी नहीं मालूम था कि चयनित गांव में एक भी ग्रामीण नहीं है। ग्राम खैम रैंगाई के वासिंदे वर्षों पहले दूसरे ग्राम पिथूपुर मेहंदिया व भोजपुर कटरी के वासिंदे संतोषपुर में जाकर बस गये हैं। वर्तमान में दोनो ग्राम जहां पर थे वहां पर गंगा की विशाल धारा बह रही है।

जो भी हो सरकार चाहे बसपा की रही हो या समाजवादी पार्टी की लेकिन भ्रष्ट अधिकारी अपनी करतूतों से कभी बाज नहीं आ रहे हैं। अधिकारी योजना के शुरूआत में ही गैर आबाद ग्रामों का चयन कर एक ऐसा मंच तैयार कर देना चाहते हैं जिससे आगे आने वाले दिनों में योजना के अन्तर्गत गोलमाल किया जा सके।