अत्याचार? स्कूल चलो अभियान की रैली में सीडीओ 2 घंटे लेट, धूप में खड़े रहे बच्चे

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फर्रुखाबाद: सरकार के कंधो पर बच्चो को स्कूल लाने की जिम्मेदारी है| उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में सरकारी बजट से जुलाई में यह अभियान चलाया जाता है| नगर से लेकर देहात के स्कूलों में बच्चो की रैलियां निकाल इस अभियान में हवा भरी जाती है| रैली की फोटो और अखबार में छपी खबरों की कटिंग लगाकर रैली के लिए आये पैसे का आहरण किया जाता है| ये महीना भीषण उमस भरी गर्मी का होता है| रैली के बजट से बच्चो को 2 रुपये का बिस्कुट का पैकेट और बचे पैसे से रैली के आयोजन कर्ता खुद अपनों के लिए मिठाई समोसा, बिसलेरी पानी और जाने क्या क्या..| मासूमो के निबाले में से भी चोरी| जबाब यहाँ नहीं तो ऊपर वाले के यहाँ देना ही पड़ेगा!

फर्रुखाबाद में मंगलवार को निकली गयी रैली में कुछ ऐसा ही नजर दिखा| साहब बहादुर श्रीमान मुख्य विकास अधिकारी जिनका कार्यालय से लेकर घर तक वातानुकूलित होगा उन्हें इस रैली को हरी झंडी दिखाकर उद्घाटन करना था| साहब ने सुबह 8 बजे का समय दिया था मगर साहब को कोई दूसरा महवपूर्ण काम लग गया लिहाजा वे 10 बजे रैली में पहुचे| बच्चे सुबह 7 बजे बुलाये गए थे| 40 डिग्री की उमस भरी गर्मी में छोटे छोटे बच्चे लाइन में खड़े किये गए थे| 8 के 10 बज गए खड़े खड़े| खुले आसमान में बच्चे खड़े किये गए अलबत्ता, मैडम और अध्यापक छाते या अन्य छाया के साए में खड़े रहे| बच्चे पानी को तरस रहे थे| बीच बीच में बच्चे पानी के लिए लाइन से निकलना चाह रहे थे मगर मैडम की डांट के आगे मजबूर| अफसरों का फरमान था सो प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी जबरिया बुला लिए गए| 1 हैड पम्प उस भी लोटा या गिलास नहीं| बेचारे 4-5 साल के बच्चे कैसे अंजुली से हैन्डपम्प के नीचे पानी पी रहे थे|

सीडीओ साहब ने बता दिया जाम लगा था इसलिए देर हो गयी| भाई 2 घंटे की देर हुई है| मोबाइल जेब में था खबर कर देते, बेचारे मासूम बच्चे यूं तो न तडपते| कुछ बच्चे तो स्कूल ड्रेस में टाई लगाये थे| सोचो क्या हाल हुआ होगा? झूठ बोलते भी शर्म नहीं आती नगर में आज 2 घंटे का जाम कहाँ लगा? किसी को पता चले तो कमेन्ट में जरुर लिखना| रैली करो, बच्चो को स्कूल जरुर लाओ मगर मासूमो पर इस तरह का अत्याचार तो न करो| किसी सिरफिरे ने बाल कानून का सहारा लिया तो खंड शिक्षा अधिकारी जे पी पाल साहब को जबाब नहीं सूझेगा|

सीडीओ हो या खंड शिक्षा अधिकारी या फिर रैली में मौजूद अध्यापक कोई भी अपने बच्चे को इस तरह धूप में अपने सामने खड़ा नहीं रखेगा| मगर ये बच्चे तो पराये है| इन्हें जन्म देने वाले तो आप हैं नहीं जो इनका दर्द लगेगा| याद रखिये ये बच्चे स्कूल या अध्यापको के भरोसे ही माँ बाप आपके पास पढ़ने के लिए भेजते है| उनका भरोसा कुछ यूं न तोडिये| बच्चे भगवान् का रूप है और आज आप सबने भगवान् को ही धूप में खड़ा कर दिया है| ….