फर्रुखाबाद: केन्द्र सरकार की मदद से जारी सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों के वितरण के नाम पर प्रदेश स्तर पर चल रहे घोटालों पर लगाम लगती नजर नहीं आ रही है। मोटा कमीशन लेकर चहेते प्रकाशकों के माध्यम से घटिया कागज पर स्तरहीन मुद्रण के कारनामे लगातार जारी हैं। जनपद स्तर पर सत्यापन के नाम पर अधिकारियों से मनमाफिक रिपोर्ट लेकर लखनऊ में बैठे आला अधिकारी अपना उल्लू सीधा करते चले आ रहे हैं। प्रकाशक कमीशन की धनराशि बचाने के लिए नई-नई जुगत लगाते रहते हैं। इस बार तो कक्षा पांच की हिन्दी विषय की पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ से अंधेर नगरी व रेवती का संगीत नामक दो पूरे-पूरे पाठ ही गायब हो गये।
बिजौली झांसी की पीताम्बरा बुक्स प्राइवेट लिमिटेड से मुद्रित एवं प्रकाशित पुस्तक कक्षा पांच की कलरव में पाठ 18 व 19 रेवती का संगीत प्रेमी पौधा तथा अंधेर नगरी एकांकी जो पेज क्रमांक 97 से 112 पर मुद्रित होना था, नहीं छापा गया। जिससे परिषदीय विद्यालयों के बच्चे इन पाठों के अध्ययन से वंचित रह जायेंगे।
निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों के वितरण के पश्चात विद्यालय व ब्लाक स्तर से उपभोग कागजों पर तो बन जाते हैं। परन्तु वास्तविकता कुछ और ही है। क्योंकि विगत कई वर्षों से उर्दू की पुस्तकें बच्चों को उपलब्ध ही नहीं करायीं गयीं। जबकि इनका भुगतान बराबर किया गया है। यही नहीं कई बार तो यह पुस्तकें बच्चों को नहीं मिल सकीं वल्कि कबाड़ी के हाथों बड़ी संख्या में बेच दी गयीं और कई जगह बड़ी मात्रा में ब्लाक स्तर पर भरी पायी गयीं। जिसको लेकर विभाग एवं जिला प्रशासन ने जांचें तो बैठाईं परन्तु उस पर कार्यवाही ठंडे बस्ते में पड़ी रही। देखना है कि पुस्तकों में बच्चों को गायब पाठों को पढ़ने का अवसर दिलाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग किस स्तर की कार्यवाही करता है और उर्दू पढ़ने वाले बच्चों को उर्दू की पुस्तकें इस बार उपलब्ध होती हैं या नहीं। यह अपने आप में एक सवाल है।