उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद 2014 में लोक सभा चुनाव से पहले ही मायावती दलित वोटों को अपनी ओर कर लेना चाहती हैं। बसपा सुप्रीमों का मानना है कि दलितों का पूरा समर्थन न मिलने के कारण ही उनके हाथ से प्रदेश की सत्ता चली गयी। अपने अभियान की शुरुआत उन्होंने नए प्रदेश अध्यक्ष को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपकर कर दी है।
जानकार बताते हैं कि मायावती ने प्रदेश की कमान रामअचल राजभर को देने के साथ ही उनके अधिकार भी बढ़ा दिए हैं उन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य से अधिक अधिकार प्राप्त होंगे। केंद्र में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की बढ़ती नजदीकियों ने भी मायावती की चिन्ता बढ़ायी है। फिलहाल वह भी अपना पूरा ध्यान केन्द्र पर देना चाहती हैं। वह उन रास्तों को खोज रही हैं जिस पर चलकर अगले चुनाव में सपा की काट की जा सके। बसपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार मायावती ने संगठन में बड़ा फेरबदल इसलिए किया, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा समय दूसरे राज्यों को दे सकें। अर्थात अब मायावती स्वयं अन्य राज्यों में बसपा का परचम फहराने की योजना बना रही हैं।
अगले आम चुनाव को ध्यान में रखकर मायावती उन राज्यों में खासतौर पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं, जहां कांग्रेस सत्ता में है। इसकी वजह यह है कि इन राज्यों में सपा अपना जनाधार बढ़ाकर दलितों को अपने पाले में लाना चाहती है। उत्तर प्रदेश के बाहर दलित वोट का बहुत बड़ा हिस्सा कांग्रेस को ही मिल रहा है जो बसपा के लिए चुनौती है क्योंकि बसपा दलितों पर अपना पूर्ण अधिकारी समझती है। मायावती अब तक लखनऊ में हर माह की 10 तारीख को पदाधिकारियों की बैठक खुद लेती थीं, लेकिन अब उन्होंने यह जिम्मेदारी नए प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को सौंप दी है।
पदाधिकारी अब मायावती की बजाय राजभर को ही रिपोर्ट करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने राजभर को और भी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। जिसमें संगठन मजबूत करने के लिए मंडलों का दौरा करना और कब कहां बैठक करनी है यह अब उन्हें ही तय करना होगा। नए प्रदेश अध्यक्ष राजभर ने भी कहा कि उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी लोकसभा चुनाव में पार्टी को अधिक से अधिक सीटें जीताना है और इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं।