खुल गए सरकारी स्कूल- कहीं मास्टर तो कहीं बच्चे नहीं, चूल्हा ठंडा राशन गायब

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फर्रुखाबाद: नए सत्र का पहला दिन| 40 दिन की लम्बी छुट्टियो के बाद सरकारी स्कूलों के मास्टरों ने अपने बच्चो को सुबह सुबह ही तैयार कर नए बस्ते, नए जूते मोज़े, नयी किताबो और नयी वाटर बोतल के साथ स्कूल विदा किया| लंच में क्या जायेगा इसका फैसला कल रात तक ही हो गया होगा| कोई मैक्रोनी ले गया तो कोई अचार पराठा| किसी के बस्ते में मैगी भी रही तो किसी के बस्ते में जैम ब्रेड| मगर जहाँ ये सरकारी शिक्षक खुद पढ़ाते हैं वहां ये तस्वीर नहीं दिखती|
सरकारी स्कूल 2 जुलाई से खुले| नई सुबह पर अधिकतर मैडम घर से ही 7 बजे से पहले नहीं निकली| कब स्कूल पहुचेगी| खैर कुछ तो 8 बजे अपने बच्चो को कॉन्वेंट में विदा करने के बाद नौकरी पर गयी| स्कूल पहुचते ही हाजिरी रजिस्टर पर 6.45 की उपस्थिति लगायी| स्कूलों में बच्चे नहीं दिखे/मिले| कोई शिक्षक बच्चो को स्कूल लाने के काम पर कोई काम नहीं करना चाहता| हालाँकि अभियान में ये शामिल होता है कि बच्चो के माँ बाप से मिलकर उन्हें स्कूल आने के लिए प्रेरित किया जाए| बच्चे नहीं आने के सवाल पर उत्तर अच्छा मिला| अब घर से लेने तो जायेंगे नहीं| वाह रे स्कूल चलो अभियान और उसकी अर्थी निकालते सरकारी शिक्षक| चार शिक्षको का मतलब है लगभग 250 बच्चे होना मगर यहाँ एक भी नहीं| इस परिसर में तीन स्कूल एक साथ है| प्राइमरी, जूनियर और कन्या प्राइमरी| एक कैम्पस| प्राथर्ना सभा का मतलब तो बच्चे जानते तक नहीं| बढ़पुर स्थित 2 स्कूल की चार मैडम घेरा लगाये छुट्टियाँ बतियाती रही| जब बच्चे नहीं तो मध्याह भोजन का चूल्हा तो ठंडा रहना ही है| अब आज जाँच हो रही है| बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ने एक प्रोफार्मा थमाया है जांचा कर्ताओं को| देखते है उसकी रिपोर्ट क्या कहती है| फ़िलहाल एक नजर उस स्कूल पर जो नगर के मुख्य मार्ग पर स्थित है| गाँव देहात के स्कूलों की स्थिति आगे देखेंगे-


नवाबगंज:-
शिक्षा सत्र के पहले ही दिन विकासखण्ड नबावगंज क्षेत्र के किसी भी प्राइमरी या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में मध्यान्ह भोजन नहीं बना। विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति तो कम रही ही वहीं अधिकांश स्कूलों में मास्टर साहब भी गोल रहे।
***प्राइमरी पाठशाला सलेमपुर बरतल में इंचार्ज प्रधानाध्यापक अमरदीप, सहायक अध्यापक हरिओम सिंह, शिक्षामित्र अनीतादेवी विद्यालय में आये। विद्यालय में मात्र पांच बच्चे ही उपस्थित मिले। विद्यालय में एमडीएम नहीं बनाया गया। यहां तक कि विद्यालय में एमडीएम के नाम पर रसोइया तक नहीं आया।
***प्राइमरी पाठशाला इमादपुर में इंचार्ज प्रधानाध्यापक मंजूदेवी, शिक्षामित्र रामरहीश व रेशमादेवी ही उपस्थित मिले। जोकि मात्र चार बच्चों के सहारे बैठे थे। विद्यालय में एमडीएम की कोई व्यवस्था नहीं की गयी। रसोइया शिक्षासत्र के पहले दि नही गायब रहा।
***प्राइमरी पाठशाला चंदनी में इंचार्ज प्रधानाध्यापक फिरोज मोहम्मद मात्र तीन बच्चों को बैठाकर खानापूरी करते मिले। विद्यालय में मध्यान्ह भोजन न तो बना और न ही कोई बनाने वाला रसोइया ही आया।
***पूर्व माध्यमिक विद्यालय चंदनी में प्रधानाध्यापक अमर सिंह अकेले बैठे मिले। विद्यालय में कोई भी बच्चा पढ़ने के लिए नहीं आया। विद्यालय में एमडीएम के नाम पर रसोइया तक नहीं आया।

वहीं आंगनबाड़ी केन्द्र चंदनी खुला तक नहीं। आंगनबाड़ी कार्यकत्री का कहीं अता पता नहीं। शिक्षा सत्र के पहले ही दिन से प्रधानाध्यापकों, अध्यापकों, शिक्षामित्रों, आगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने नौनिहालों के जीवन से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया। तो पूरे सत्र में क्या होगा यह तो आज के दिन की बानगी से पता ही चल गया होगा। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षा का बद से बदतर हाल हो गया है।