नई दिल्ली : हमारे देश में यदि नेताओं को बुरा-भला कहा जाता है या उनका मजाक बनाया जाता है तो बिलकुल भी गलत नहीं है क्योंकि ये हैं ही इस लायक| एक नेता जब मंच पर होता है तब उसे नज़र अति है गरीबी, महंगाई, पिछड़ापन और भी ना जाने क्या क्या लेकिन इनकी निजी जिंदगी में इनकी यही सोच बेमानी हो जाती है| देश के चन्द नेताओं को छोड़ दिया जाये तो सभी विलासिता का जीवन जीते हैं| एक या दो नेताओं को अलग करके यदि नज़र डालें तो लगभग सभी ऐसे परिवारों से हैं जहाँ रोज़ कमाना होता था, लेकिन आज ये जनता के पैसे पर अय्याशी कर रहे हैं| आप ये मत समझे की किसी पूर्वाग्रह के चलते हम ऐसा कह रहे हैं| दरअसल सामने आया है कि गरीबी, महंगाई, पिछड़ापन का रोना रोने वाले नेता असल में शेर की खाल में छुपे भेडिये हैं ये सिर्फ और सिर्फ अपने लिए सोचते हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से आरंभ किए गए ट्रांसपेरेंसी पोर्टल पर जब स्वयं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने क्लिक किया तो वे सामने ई जानकारी देख कर भौचक्के रह गए।
हुआ ये कि पेट्रोलियम मंत्रालय के इस पोर्टल पर जब रेड्डी ने क्लिक किया तो देश के नेताओं की ‘असलियत’ निकल कर उनके सामने आ गई। ट्रांसपेरेंसी पोर्टल पर जो जानकारी है उसके मुताबिक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने पिछले एक वर्ष में सबसे ज़्यादा रसोई सिलेंडर की खपत की है। बहुगुणा के दिल्ली वाले घर पर एक वर्ष में 83 सिलेंडर की खपत हुई है। दूसरे नंबर पर हैं बीजेपी के नेता एसएस आहलूवालिया। आहलूवालिया ने एक साल में 81 सिलेंडरों का प्रयोग किया। जबकि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 80, विदेश राज्य मंत्री परिणीत कौर ने 77, सब्सिडी के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के जूनियर नमो नारायण मीणा ने 69, केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के यहां 66, सुरेश कलमाड़ी के घर पर 63, मुलायम सिंह यादव ने 58, मायावती ने 46, ए राजा भले ही जेल में रहे हों लेकिन उनके यहां भी 47, राज्यसभा सांसद राजकुमार धूत ने 71 और बीजेपी के युवा नेता अनुराग ठाकुर ने 37 सिलेंडर बुक कराए। इन सभी नेताओं के दिल्ली में मौजूद आवास पर इन सिलेंडरों की खपत हुई।
आपको बता दें ये आकडे उस समय के हैं जब एक सिलेंडर पर केंद्र सरकार 344 रुपये की सब्सिडी देती है। सरकार इस सब्सिडी को समाप्त करने के प्रयास कर रही है। नए नियम जिसपर सरकार मंथन कर रही है उसके मुताबिक सांसदों, नौकरशाहों और 50 हजार रुपये से अधिक कमाने वालों को बिना सब्सिडी के एक हजार रुपये के मूल्य पर सिलेंडर देने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन नेताओं के इस तरह के रवैये से लगता नहीं कि पेट्रोलियम मंत्रालय कभी इस नियम को लागू कर पाएगा।
ये सब उस समय हो रहा है जब आये दिन आम आदमी को गैस एजेंसियां के सामने लम्बी लें लगनी होती है, गिड़गिडाना पड़ता है| एक आम आदमी को 21 दिनों से पहले सिलेंडर देने में कानून बताये जाते हैं। लेकिन इन नेताओं के लिए कोई कानून नहीं सब उनके मनमुताबिक चलता है। देश में कई नेताओं के यहां तो हफ्ते के हिसाब से सिलेंडर पहुंचाए जा रहे हैं। इंडियन ऑयल के चेयरमैन आरएस बुटोला से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कन्नी काट ली और चलते बने। बात बिगड़ते देख पेट्रोलियम मंत्रालय ने आनन फानन में एक बयान जारी कर कहा कि कोई भी व्यक्ति महीने में कितने भी सिलेंडर ले सकता है।
इस मामले को देखकर साफ़ हो जाता है कि देश के सभी काएदे कानून इन नेताओं की देहरी पर पहुँचते ही दम तोड़ देते हैं और वही होता है जो इनको मंजूर होता है|