चुनाव में लोकप्रियता- मर्दों में विजय सिंह तो महिलाओ में वत्सला सबसे आगे

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फर्रुखाबाद: राजनीति में कई प्रकार के वोट होते हैं| जात धर्म के, नेता की योग्यता के, पार्टी के, नेता के कर्मो के और नेता की लोकप्रियता के भी वोट होते हैं| जात धर्म, पार्टी और योग्यता के आधार पर वोट देने वाले वोटर फिक्स होते हैं| नेता के कर्मो और लोकप्रियता के आधार पर पड़ने वाला वोट फिक्स नहीं होता| ये चलायमान होता है| जिधर की हवा बहती है उधर ही ठप्पा लगा आता है| इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान लोकप्रियता का आंकलन किया जाए तो पुरुषो में विजय सिंह और महिलाओ में वत्सला का ग्राफ सबसे आगे रहा|

ये लोकप्रियता का आंकलन नेता के निकल जाने के बाद होता है| जब भी कोई नेता किसी इलाके से जनसम्पर्क करके आगे बढ़ता है अपने पीछे चर्चा छोड़ जाता है| ये चर्चाये विभिन्न प्रकार की होती है जो नेता के आगे बढ़ जाने के बाद करती है| जैसे-
*पिटे हुए मोहरे है|
*इनकी जमानत जब्त हो जाएगी|
*टक्कर इन्ही से होगी|
*बहुत सुन्दर है| (महिलाओ के बारे में)
*………. का भी जोड़ नहीं है|
*बहुत मेहनत कर रहा है|
*बहुत रूपया फूक रहा है|
*ये कौन था?
*इन्हें भी वोट देकर देख लिया|
*सब एक जैसे ही हैं|
*जलवा ……. का ही है|
*इन्हें इनकी बिरादरी ही निपटा देगी|
*बोलचाल की बहुत अच्छी है|
*अगर जे हारे तो उनकी वजह से हारेंगे|

इस प्रकार की चर्चाये नेता के निकल जाने के बाद होती है| जो कितनी देर चलेगी और कितनी गहराई तक ये नेता की लोकप्रियता तय करता है| पूरे चुनाव में जो प्रमुख चेहरे वोट मांगने निकले उनमे अध्यक्ष पद के लिए सभी पति पत्नी भी थे| वत्सला-मनोज, दयमंती-विजय सिंह, माला-संजीव, सलमा-अहमद, शशिप्रभा-संजीव और सोनाली-संजीव| चुनाव में 3 प्रत्याशियो के पति का नाम संजीव है| संजीव पारिया, संजीव मिश्र और संजीव गुप्ता| बाकी बचे सलमा के अहमद और वत्सला के मनोज| संजीव पारिया और संजीव गुप्ता नाम फर्रुखाबाद की आम जनता के लिए लोकप्रियता की सबसे निचली पायदान पर रहे| संजीव मिश्र बोबी वर्षो से व्यापार मंडल की राजनीति में चप्पले घिस रहे है बाजार में चर्चित नाम है| वहीँ संजीव पारिया की राजनीति कचहरी से बाहर नहीं निकली| अलबत्ता वे कचहरी में सबसे लोकप्रिय है मगर इसका दायरा बहुत छोटा है| अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा रहे मर्दों में मनोज और अहमद दूसरे कर्म पर आते है| हालाँकि मनोज का नंबर अहमद से ऊपर होने की वजह कई साल की राजनीति और सामाजिक कार्यो की नुमाइश करना भी है| जनप्रिय वे नहीं कहे जा सकते क्यूंकि वे विधानसभा का चुनाव हार चुके है| एम् एल सी का चुनाव वोटो की खरीद से होता है वहां लोकप्रियता कोई मायने नहीं रखती| निवर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष होने के नाते उन्हें विकास कार्यो और उनमे हुए घपलो घोटाले की चर्चा से मनोज की लोकप्रियता बहुत तेजी से घटी है| रही बात अहमद की तो वे मुसलमानों से बाहर नहीं निकल पाए| चौक से दक्क्षिण भी उन्हें लोग कम ही जानते है| अब एक नाम बचा विजय सिंह का| कभी उस्ताद तो कभी विधायक विधायक| हर दाव पेच में माहिर विजय सिंह विपरीत परिस्थितियो में भी स्थिर रहे ये उनकी लोकप्रियता की निशानी है| इस चुनाव में विजय सिंह की और ब्राहमणों का बढ़ता झुकाव और इस चुनाव में मुसलमान प्रत्याशी होने के बाबजूद मुसलमानों की उनकी ओर फिर वापसी उनकी लोकप्रियता पर मुहर भी लगा रहा है|

अब बात महिलाओ की करते है| वैसे महिलाओ को लोकप्रियता में एक बोनस मिलता है| वो है महिलाओ की खूबसूरती जो की मर्दों के भाग्य में नहीं होती| छोटी सत्ता की राजनीति में महिलाओ का ज्यादा काम नहीं होता| उन्हें केवल नामांकन पर्चे पर दस्खत करने होते है| पोस्टर में फोटो छपवाना होता है और चुनाव तक गली गली वोट मांगना होता है| इसके बाद उनका काम ख़त्म हो जाता है| पति बिना बनाये प्रतिनिधि जाते है और सैकड़ो जगह अपनी पत्नी के खुद दस्खत करते है| लोकप्रियता के मामले में सुन्दरता पर बात नहीं करेंगे| मुझे अपनी आफत नहीं बुलानी| बाकी जो जनसम्पर्क में चर्चा हुई उसके अनुसार शशि प्रभा और सोनाली का क्षेत्र भ्रमण सीमित रहा| पति के नाम से पहचान के मामले में भी दोनों के दायरे सीमित थे| ज्यादा कुछ खुद सोचने समझने की कोशिश नहीं की| कटपुतली की तरह जितनी चाभी भरी गयी उतनी चल आई| जनता में चेहरे नए थे| माला पारिया भी सीमित चर्चित हो पायी अलबत्ता उनके साथ भारी भरकम नाम भाजपा का जुदा था| डॉ रजनी सहित कई भाजपा महिला नेता माला पारिया के आगे भारी रही| अब अमिताभ बच्चन किसी बेनामी अटैची का प्रचार करे तो जनता के मानसिक पटल पर अटैची की जगह अमिताभ ही हावी रहेगा| यही कुछ माला पारिया की लोकप्रियता का भी रहा| उनके देवर आशीष पारिया पति संजीव पारिया और भाजपाई उन्हें दिशा देते रहे और वे हाथ जोड़े पैर छूते गली गली जनसम्पर्क पर निकलती रही| प्रत्याशी से ज्यादा चर्चा पार्टी की होती रही| सलमा बेगम का नंबर महिलाओ की लोकप्रियता के मामले में तीसरा रहा| बिरादरी में जनता से खुल कर मिली वोट मांगे मगर पूरे शहर के दर्शन तक नही हो पाए| अब बात दयमन्ती सिंह की| चर्चा में महिलाओ के खेमे में वे सबसे आगे रही मगर लोकप्रियता में वत्सला ने बाजी मारी| एक कभी कठोर तो कभी हसमुख दूसरा केवल नरमी से बात करने वाला| अलबत्ता फैसले लेने में दयमंती की क्षमता वत्सला से आगे हो सकती है मगर जनता में जनसम्पर्क के बाद वत्सला ने देर तक चर्चा बटोरी| सुन्दरता उन्हें बोनस में मिली|

बात निष्कर्ष निकालने की तो ये पाठको और मतदाताओ के हाथो में है| 24 को परीक्षा है दोनों की| कौन पास कौन फ़ैल| अलबत्त एक बात तय सीट भले ही महिला हो गयी हो चलाएगा मर्द ही|