मनोज अग्रवाल से देर रात तक चली कदमताल और लम्बी वार्ता के बाद खबरीलाल गहरी नींद में सो गए। यह सोंचकर सोए थे कि आज देर से उठेंगे और आराम से काम से निकलेंगे। परन्तु खबरीलाल का सम्बंध खबर से है। इसमें आराम का क्या काम।
नगर पालिका क्षेत्र में जैसे-जैसे समाचार पत्र लोगों के पास पहुंचना प्रारंभ हुआ। वैसे ही खबरीलाल के तीनो मोबाइल और बेसिक फोन की घंटियां बजने लगीं। दस पांच मिनट तो खबरीलाल ने टाला। परन्तु जब घंटियों का न थमने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। तब फिर झुंझलाहट के साथ फोन उठाया। हलो कहते ही बिना दुआ सलाम के दूसरी तरफ से आवाज आई। भैया खबरीलाल तुम इतने खराब आदमी हो। ऐसा तो हमने सोचा भी नहीं था। अरे भाई सात घर डायन भी छोड़ देती है। तुमने हमारे नगर विधायक तक को नहीं छोड़ा। तीन महिने से ज्यादा बेचारे की शादी को हो गए। तुम उसका गौना नहीं होने दे रहे हो। खबरीलाल टेलीफोन पर दहाड़ते हुए । बोले क्या बकते हो। बक नहीं रहे हैं अपनी बात कह रहे हैं। दूसरी ओर से आवाज आयी। गुस्से में खबरीलाल ने टेलीफोन बंद कर दिया। परन्तु घंटी दर घंटी आवाजें थमने का नाम ही नहीं ले रही थीं। जिस फोन को उठाओ। अलग-अलग तरीके से एक ही बात। घंटियों का सिलसिला जब नहीं रुका। खबरीलाल ने सभी स्विच आफ कर दिए। लगातार दो तीन गिलास ठंडा पानी पिया और राहत की सांस ली।
खबरीलाल सम्हल भी नहीं पाए थे। दरबाजे पर कुछ लोगों के आने की आहट आई। खबरीलाल बालों पर हाथ फेरते हुए बाहर आए। देखा दस बारह लोग ऐसे खड़े हैं जैसे किसी महत्वपूर्ण मसले पर खबरीलाल का साक्षात्कार लेना हो। एक ही साथ सब बोलने लगे। वैसी ही बातें जैसी खबरीलाल टेलीफोन पर सुन चुके थे। बड़ी शांति के साथ वह हाथ जोड़कर बोले भाइयों शांत रहिए। सभी लोग शांत हो गए। अब कृपा करके असली बात बताइये, लोगों ने जो कुछ कहा उसे सुनकर खबरीलाल ठहाका मारकर हंसने लगे। अच्छा तो यह मामला है। हमारी बिल्ली और हमीं से म्यायूं।
खबरीलाल ने सीधे विधायक को टेलीफोन किया। उधर से आवाज आई हां खबरीलाल भाई साहब। नमस्कार कहिए क्या हुकुम है। खबरीलाल बोले यार विजय सिंह यह बताओ कभी तो कायदे की बात किया करो। देख नहीं रहे हो चुनाव किस नाजुक दौर में जा रहा है। तुम हो एक न एक बखेड़ा खड़ा कर देते हो। चार दिन हाथ जोड़कर वोट नहीं मांग सकते। उधर से आवाज आयी भैया खबरीलाल तुम्हारी कसम हम यही कर रहे हैं। हाथ जोड़कर पैर छूना और बहू के लिए वोट मांगना। और बहू भी अपनी स्वाभाविक शालीनता से यही कर रही है। संगी साथियों से भी यही कह रखा है। जरा सी भी शैतानी या उदंडता न हो। सब लोग शांती से वोट मांगो।
खबरीलाल लगभग चीखकर बोले चुप रहो। ज्यादा बकवास मत करो। कल लिंजीगंज में शादी और गौने की बात कहां से आ गई। सुबह से लोग ताने मार मार कर जीना मुहाल किए हैं। पहिले खबरीलाल ने विधायक की शादी नहीं होने दी। जैसे तैसे लगभग एक सौ पचास वोटों (नोटों) से शादी हुई। तब अब गौना नहीं होने दे रहे हैं। कितनी बार तुम्हें समझाया अब अक्ल की बात किया करो। जनता समझदार हो रही है। ऐसा न होता तो तब फिर लगभग साठ हजार वोट पाने वाले विजय सिंह की जीत के लाले नहीं पड़ते। घायल शेर की तरह हारा हुआ मेजर सुबह शाम चुनाव याचिका का हल्ला करने लगता है।
टेलीफोन पर विधायक बोले भइया खबरीलाल! ऐसी कोई बात नहीं है जो आप समझ रहे हो। यह हमारे विरोधियों द्वारा आपको समझाई बतायी गयी है।
खबरीलाल गरज कर बोले अब श्रीमान केवल और केवल हमारी सुनिए चुपचाप नहीं तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा। विधायक बोले हां भइया! आप बताओ हम सुन रहे हैं।
खबरीलाल बोले नेता दुनिया जहान की बात करता है। कभी अपनी शादी व्याह गौने की बात नहीं करता। तुम्हें शादी गौने की बात करने का यह नया शौक कहां से सवार हो गया। कै बार शादी करोगे कितनी शादी करोगे। किस पार्टी से तुम्हारी शादी नहीं हुई। हर पार्टी में तुम्हारे सैकड़ों बाराती हैं। मुलायम सिंह यादव ने मई 2007 में तुम्हारी शादी कराई थी। चमचाती नई सायकिल से। लेकिन तुम ठहरे बंदा बैरागी। एक महिने में ही हाथी पर आ गए। यहां शादी की बात नहीं बनी तब फिर हाथी से कूदकर हाथ थाम लिया। हाथी ने तुम्हारा हाथ बुरी तरह रौद दिया। तुम न घर के रहे और न घाट के। बिन बुलाए बराती की तरह अंटू मिश्रा आए। तुम्हें किनारे करके तुम्हारे मैदान और कन्यादान पर ही कब्जा कर लिया। वह भी बेचारे हारने के बाद तुम्हारी ही तरह मारे-मारे घूम रहे हैं। तुम्हें विवाह मंडप से भागने की पुरानी आदत है। पता नहीं कौन सी कमजोरी है तुम्हारे अंदर जो तुम्हें एक घर में टिकने ही नहीं देती। या तो घर से धकिया दिये जाते हो। या खुद ही भाग आते हो। खबरीलाल बोले सुन रहे हो या हमें मन ही मन गालियां दे रहे हो।
विधायक बोले आपने ही कहा कि चुपचाप सुनो सो सुन रहे हैं। आपको जो गाली दे उस साले ………………..की तो हम जुवान खींच लें। खबरीलाल बोले ज्यादा बहादुरी मत झाडिए विधायक जी। हमें आपकी बहादुरी के सब कारनामे मालूम हैं। हमें जो कुछ थोड़ी बहुत हमदर्दी है। वह आपके भाई घनश्याम की बजह से है। जिस पर भी पैंतरे बाजी करने में आपने कोई कसर नहीं रखी।
खबरीलाल बोले यह तुम्हारा चुनाव नहीं है। तुम्हारी अग्निपरीक्षा है। तुम्हारा पुराना साझीदार झगड़े के कारण तुम्हारे मुकाबले में है। तुम्हारे पुराने दुश्मनों ने शिखंडी की तरह उसे आगे खड़ा कर लिया है। तुम पर हमले दर हमले हो रहे हैं। तुम्हारे दरबार के सैकड़ों दरबारी समर्थन ले लो की फेरी लगा रहे हैं। भारी काया के हाजी जी दिन दूने रात चौगुने मिल रहे समर्थन के बोझ से हांफ रहे हैं। उनकी थैली खाली तो नहीं होगी। परन्तु हल्की जरूर होगी। हां समर्थन देने वाले के कुड़ते की जेबें जरूर फूल रही हैं। खबरीलाल भैया! सब मालूम है लकिन हम तो चुनाव की बजह से शांत हैं। वक्त आने पर सबकी पोल खोल देंगे।
खबरीलाल फिर दहाड़कर बोले पोल तुम तब खोलोगे जब उस लायक रहोगे। अरे भाई तुम्हें सबकी पता है। तब फिर तुम्हारी किसे पता नहीं है। सबको मालूम है कहां से माल पाया है। कहां लगाया है। चूंकि अब तो यह काम सभी करने लगे हैं। इसलिए तुम्हारा फ्लैट कहां कोठी कहां, प्लाट कहा आदि आदि इससे किसी को कुछ लेना देना नहीं है। तुम्हारी आमदनी क्या है कहां से है इससे भी अब किसी को कुछ भी लेना देना नहीं है।
खबरीलाल बोले अब व्यर्थ की बकवास बंद करो। कौन मानेगा कि तीन माह पहिले तुम्हारी शादी हुई है। दमयंती के घर वालों ने यह शर्त रख दी है कि अगर दमयंती को चेयरमैन नहीं बनाओगे तब फिर गौना नहीं होगा। जिस उमर में हो उसमें लोग अपनी नहीं अपनी संतानों की शादी की बात करते हैं। विधायक बोले भइया खबरीलाल हम मानते हैं। हमसे गलती हो गई। अब बताओ करें क्या।
खबरीलाल बोले कुछ मत करो सीधे सीधे हाथ जोड़कर माफी मांगो कि जवान फिसल गई थी। हम यह कहना चाहते थे कि दमयंती को चेयरमैन बनाइए। विक्की सिक्की करन तीनों नवजवानों की शानदार शादी एक साथ कर देंगे। उसमें इतना और जोड़ दीजिए कि लोकसभा के चुनाव जल्दी ही होने वाले हैं। उसमें भी हम जिस पार्टी से खड़े हों हमें जिता देना। शादी से भी अच्छा गौने का फंकशन कर देंगे। विधायक बोले ठीक है भैया! हम अब बाकी दो दिन यही कहेंगे। खबरीलाल बोले हमें जो कहना था हमने कह दिया! बांकी तुम जानो तुम्हारा काम काम जाने। लोग वापस अपने घर चले गए। अब देखना है कि दमयंती के चुनाव जीतने तथा लोक सभा में विधायक जी के जीतने पर विक्की सिक्की और करन की शादी और गौना कितने शानदार ढंग से होता है।
सतीश दीक्षित
एडवोकेट