कायमगंज (फर्रुखाबाद) : प्रदेश सरकार जननी सुरक्षा के प्रति सजगता के कितने भी ढिंढोरा पीटे लेकिन उसकी हकीकत आये दिन होने वाले अस्पताल गेटों पर प्रसव से सामने आ ही जाती है। प्रदेश के अस्पतालों में जननी सुरक्षा की चेकों से लेकर प्रसव कराने के नाम पर जमकर वसूली की जा रही है। जिसे कोई आज तक देखने वाला नहीं है। इसी का नतीजा है कि ग्रामीण देर से अपनी महिलाओ को देर से अस्पताल ले जाते हैं जिससे अस्पताल गेट, ट्रैक्टर ट्राली, बैलगाड़ी में प्रसव हो जाते हैं।
बुधवार को ग्राम चरन नगला निवासी प्रसूता गुड्डी देवी पत्नी किशुन सिंह को बैलगाड़ी से कायमगंज सामुदायिक स्वास्थ्यकेन्द्र देवर शोक सिंह पुत्र श्रीराम लेकर पहुंचे। आशा कार्यकर्ता विमलेश भी गुड्डी के साथ थी। प्रसूता का पति किशुन सिंह कासगंज के बाबूपुर गांव स्थिति अपनी ससुराल से सास तथा साली को बुलाने के लिए गया था। देवर शोक सिंह ने डा0 कल्पना भारती, स्टाफ नर्स अर्चना से भाभी गुड्डी देवी को अस्पताल में भर्ती करने को कहा। लेकिन काफी देर हो गयी तब तक दोनों लोगों ने उसे भर्ती नहीं किया।
इसी दौरान प्रसव पीड़ा से बिलख रही गुड्डी ने बैलगाड़ी में ही बिना किसी डाक्टर की सहायता के एक बच्ची को जन्म दे दिया। यह देख आनन फानन में प्रसूता को बाद में अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। कायमगंज अस्पताल के लिए यह कोई नई घटना नहीं है। यहां आये दिन प्रसूताओ से वसूली को लेकर विवाद होता रहता है व आये दिन वसूली के चक्कर में अस्पताल गेट पर प्रसव होते ही रहते हैं। डाक्टरों व नर्सों की लापरवाही से प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
ग्रामीण अस्पताल में वसूली के भय से प्रसूताओ को पहले से भर्ती नहीं कराते। ग्रामीणों का मानना है कि अस्पताल में पहुंचने भर से ही उनकी खस्ता हालत हो जाती है। यदि वह इन अस्पतालों में आठ दिन पहले अपनी महिलाओ को भर्ती कराते हैं तब तो उनका दिवाला ही निकल जाता है। प्रदेश सरकार के लिए यह बड़े ही शर्म की बात है कि जननी सुरक्षा के नाम पर हो रही वसूली का भय ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ की जान ले लेता है और जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अनजान बने रहते हैं।